उमरिया में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह को विशेष रूप से मनाया गया। वन्य प्राणी सप्ताह में प्रबंधन विशेष रूप से वन्य प्राणी मूवमेंट वाले क्षेत्रों में जागरूकता रैली, बच्चों की प्रतियोगिता और वन्य प्राणियों से जुड़ी वॉल पेंटिंग करवाता है। वन्य प्राणियों को लेकर ग्रामीण और बच्चों में जागरूकता सहित वन्य प्राणियों के महत्व के बारे में बताया जाता है। ग्रामीणों और बच्चों को वन्य प्राणियों को नुकसान नहीं पहुंचाने के लिए जागरूक किया जाता है। टाइगर रिजर्व में 1 अक्टूबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जाता है। रैली, प्रतियोगिता और वॉल पेंटिंग का किया आयोजन टाइगर रिजर्व के नौ परिक्षेत्र में वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जाता है। वन्य प्राणी सप्ताह में ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए रैली का आयोजन किया जाता है। रैली में वन और वन्य प्राणियों के महत्व के बारे में जानकारी दी जाती है। जीवन में वनों और वन प्राणियों के उपयोगिता के बारे में बताया जाता है। वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए जागरूकता के लिए बच्चों में प्रतियोगिता कराई जाती है। जिसमें की वन्य प्राणियों से जुड़ी जानकारी बच्चों को बताई और पूछी जाती है। बच्चों से वन्य प्राणियों से जुड़ी वॉल पेंटिंग करवाई जाती है। सोमवार को बच्चों को जंगल सफारी करवाई गई। जिसमें की बच्चों को वन्य प्राणियों दिखाकर वन्य प्राणियों को नुकसान न पहुंचाने और गांव में जागरूकता का संदेश देने के बारे में बताया गया। बच्चों को पुरस्कार भी दिए गए। बच्चों ने प्रतियोगिता में लिया हिस्सा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्य प्राणी सप्ताह में होने वाली प्रतियोगिता में 35 स्कूलों में प्रतियोगिता करवाई गई। 35 स्कूलों में लगभग 1200 बच्चों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। 40 बच्चों को पुरस्कार दिए गए। बच्चों को जंगल सफारी भी करवाई गई। वन्य जीवों से जुड़ी मूवी भी दिखाई गई। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की ताला परिक्षेत्र की अधिकारी पुष्पा सिंह ने बताया कि बच्चों से वॉल पेंटिंग करवाई गई। प्रतियोगिता भी करवाई गई। बच्चों को जंगल सफारी में वन्य प्राणी और वनों की जानकारी दी गई। महत्व के बारे में बताया गया है। कोर परिक्षेत्र में वन्य प्राणी की मूवमेंट हमेशा बनी रहती है। ऐसे में ग्रामीणों को जागरूक करने के बाद ग्रामीणों को वन्य प्राणियों को नुकसान न पहंचाने और उनसे बचाव के उपाय बताए जाते हैं। बच्चों को भी जागरूक किया जाता है। कोर परिक्षेत्र में अक्सर ग्रामीणों को शाकाहारी और मांसाहारी वन्य प्राणी दिखाई देते हैं।