पदोन्नति को लेकर अब प्रभारी रेंजर कोर्ट पहुंचे:आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने एक साथ कहा-पदोन्नत करो

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पदोन्नति के मामले में आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी अब एक राय हैं। दोनों ही वर्ग चाहते हैं कि पदोन्नति शुरू हो। जब सरकार ने यह फरियाद नहीं सुनी तो कर्मचारी कोर्ट जाने लगे हैं। 24 डिप्टी रेंजर (प्रभारी रेंजर) ने वन क्षेत्रपाल (रेंजर) के पद पर पदोन्नति के लिए जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। उनकी मांग है कि शासन साल 2016 से पदोन्नति देने के लिए विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक बुलाए। जबलपुर हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 के उस नियम को समाप्त कर दिया, जिसमें पदोन्नति में आरक्षण देने का प्रावधान था। इस फैसले के खिलाफ 12 मई 2016 को मप्र सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति रखने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर रोक है। इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पदोन्नत करने के लिए 28 अप्रैल 2016 को पदोन्नति समिति की बैठक की जाना थी, उसकी पूरी तैयारी भी हो चुकी थी, पर अधिकारियों ने समय पर बैठक नहीं की और दो दिन बाद हाईकोर्ट का फैसला आ गया। इसके बाद से सरकार पदोन्नति नहीं कर रही है। कर्मचारी कहते हैं कि कई मामलों में हाईकोर्ट ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पदोन्नत करने का फैसला सुनाया है। कोर्ट साफ कर चुका है कि वरिष्ठ न्यायालय ने पदोन्नति पर रोक नहीं लगाई है, बल्कि हाईकोर्ट के फैसले को यथास्थिति रखा है। यानी सरकार चाहे तो पदोन्नति कर सकती है, पर ऐसा नहीं किया जा रहा है। इससे कर्मचारियों के जीवनभर की मेहनत बेकार हो रही है। वे अब तक एसडीओ के पद पर पदोन्नति के हकदार हो जाते, लेकिन रेंजर भी नहीं बने। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने हाल ही में वन क्षेत्रपाल (रेंजर) से सहायक वन संरक्षक (एसडीओ फारेस्ट) के पद पर पदोन्नति के लिए 60 दिन में डीपीसी करने के निर्देश राज्य शासन को दिए हैं। 1.50 लाख कर्मचारी रिटायर प्रदेश में सवा आठ साल से पदोन्नति पर रोक है। इस अवधि में करीब डेढ़ लाख कर्मचारी रिटायर हुए हैं। उनमें से करीब 1.20 लाख कर्मचारियों को रिटायरमेंट से ठीक पहले पदोन्नति मिलनी थी। बात स्टेटस की है वैसे तो कर्मचारियों को वरिष्ठ पद का वेतनमान मिल रहा है, पर बात स्टेटस की है। रिटायरमेंट से पहले डिप्टी रेंजर, रेंजर या एसडीओ बन जाता है, तो कहा जाता है कि वह इस पद से रिटायर हुआ है। वहीं पेंशन में भी मामूली लाभ हो जाता है। पूरी लड़ाई ही इसकी है।