नवरात्र के आरंभ के साथ ही बुरहानपुर के गुजराती मोढ़ वणिक समाज में 200 साल पुरानी पगघड़ी परंपरा को एक बार फिर जीवंत किया गया। देवकर परिवार ने माता अंबा को सिर पर रख, नंगे पैर, चादर बिछाकर गरबा लाने की इस पद्धति का पालन किया। यह परंपरा, जिसे पगघड़ी कहा जाता है, गुजराती परिवारों में विशेष महत्व रखती है। नवरात्र के पहले दिन से शरद पूर्णिमा तक, 15 दिनों तक माता अंबा की पूजा और गरबा खेला जाता है। परंपरा के अनुसार, मां अंबा को प्रजापति के घर से सिर पर रखकर लाया जाता है, और लोग नंगे पैर चलते हैं। इस पवित्र आयोजन को देवकर परिवार की अनीता गोपाल देवकर ने एक बार फिर सजीव किया। नवरात्रि तो नौ दिन की होती है, लेकिन मोढ़ वणिक समाज में शरद पूर्णिमा तक गरबा चलता है। भक्तजन मां अंबा को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा करते हैं। गुजराती समाज ने कहा- पुरानी परंपरा जीवंत किया गया सारिका देवकर ने कहा यह बहुत पुरानी परंपरा है जिसे हमारे परिवार ने एक बार फिर जीवंत कर दिखाया। संगीता गुप्ता निवासी सूरत ने कहा-मां अंबा से जो मांगों वह सबकी मुराद पूरी करती है। हम भी सूरत से आए हैं और यहां जो परंपरा देखी वह देखते ही बनती है। पगघड़ी परंपरा करीब 200 वर्ष पुरानी है जिसे आज हमने एक बार फिर देवकर परिवार में देखा।