राजगढ़ जिले के खिलचीपुर स्थित स्टेडियम ग्राउंड में सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा प्रहार दिवस मनाया गया। इस आयोजन में सैकड़ों स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया और सामूहिक रूप से दंड (लाठी) के साथ करीब 1,000 प्रहार किए। सुबह 8:00 बजे कार्यक्रम की शुरुआत स्टेडियम ग्राउंड में भगवा ध्वज वंदन से हुई। स्वयंसेवकों ने ध्वज को प्रणाम कर प्रहार का अभ्यास शुरू किया। एक घंटे तक चले इस कार्यक्रम में हर स्वयंसेवक ने पूरे जोश के साथ प्रहार किए। ’15 वर्षों से परंपरा को निभा रहा’
कार्यक्रम के दौरान जिला कार्यवाह ने अपने संबोधन में कहा कि संघ पिछले 15 वर्षों से इस आयोजन की परंपरा को निभा रहा है। पहले सूर्य सप्तमी के दौरान सूर्य नमस्कार महायज्ञ किया जाता था, जिसे बाद में मध्य प्रदेश सरकार ने अपनाया। अब यह आयोजन विवेकानंद जयंती के अवसर पर 12 जनवरी को मनाया जाता है। कार्यवाह ने यह भी बताया कि वर्ष में एक बार सभी स्वयंसेवकों को एकत्र कर प्रहार दिवस मनाने का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक अनुशासन को मजबूत करना है। 16 दिसंबर- ऐतिहासिक महत्व कार्यवाह ने इस आयोजन को 16 दिसंबर से जोड़ते हुए इसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस दिन 1971 में भारत ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। भारत के वीर सैनिकों ने 16 दिसंबर 1971 को मात्र 5-6 हजार सैनिकों के साथ पाकिस्तान की लगभग 1 लाख की सेना को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया था। यह घटना इतिहास में पहली बार हुई, जब इतने बड़े पैमाने पर किसी सेना ने हथियार डाल दिए। इस दिन को याद कर संघ अपने राष्ट्र प्रेम और बलिदान की भावना को प्रकट करता है। कार्यक्रम की सफलता प्रहार दिवस के इस आयोजन में सभी स्वयंसेवकों ने अनुशासन और एकता का प्रदर्शन किया। यह आयोजन न केवल संघ की परंपराओं को सशक्त करता है, बल्कि नई पीढ़ी को देशभक्ति और अनुशासन का संदेश भी देता है।