भोपाल प्रभात साहित्य परिषद द्वारा “अभी अभी” विषय पर आयोजित काव्य गोष्ठी में शहर के प्रमुख साहित्यकारों ने अपनी बेहतरीन रचनाओं से समां बांध दिया। हिंदी भवन के नरेश मेहता कक्ष में आयोजित इस गोष्ठी का संचालन डॉ. अनिल शर्मा “मयंक” ने किया, जबकि छंदकार रामकिशोर “रवि” की अध्यक्षता में वरिष्ठ गीतकार राजेंद्र शर्मा “अक्षर” के संरक्षण में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। गोष्ठी के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार बलराम गुमास्ता, विशेष अतिथि डॉ. प्रतिभा द्विवेदी और पं. विनोद गौतम ज्योतिषाचार्य ने साहित्यिक समागम को गरिमा प्रदान की। डॉ. अनिल शर्मा “मयंक” की कृति “आयुर्वेद रहस्यम” का लोकार्पण इस अवसर पर पिछली काव्य गोष्ठी “कोई कमी न थी” की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं के लिए डॉ. सीमा अग्रवाल और उमेश गर्ग “अग्रोही” को सरस्वती प्रभा सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही पं. अयोध्या प्रसाद गौतम का पंचांग 2025 और डॉ. अनिल शर्मा “मयंक” की कृति “आयुर्वेद रहस्यम” का लोकार्पण भी किया गया। काव्य गोष्ठी में भाग लेने वाले कवियों ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया। डॉ. सीमा अग्रवाल ने “अभी अभी इक सपना देखा, सपने में देश बदलते देखा” पढ़कर मंच पर जोश भर दिया, वहीं प्रदीप कश्यप ने “जिन्होंने झूठ हटा करके सच को माना है, हमारी बात को उनकी जुबां से उठने दो” से समाज की सच्चाई को उजागर किया। डॉ. अनिल शर्मा “मयंक” ने “जालिम मार रहे इंसा को, महफूज नहीं हैं वहां सभी, बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म देखे अभी अभी” जैसी मार्मिक रचना प्रस्तुत की, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर किया। वहीं डॉ. प्रतिभा द्विवेदी ने “कंचन काया थी सुघढ़, हुआ नियति का फेर, अभी अभी वह बन गई एक राख का ढेर” पढ़कर जीवन के नश्वरता को रेखांकित किया। कार्यक्रम में चंद्रभान राही, मंजुल प्रकाशन के प्रमुख कपिल सिंह, गोपेश वाजपई, चंदरसिंह चंदर, उमेश तिवारी आरोही, सुषमा श्रीवास्तव और सविता बांगड़ जैसे साहित्यकारों की उपस्थिति ने आयोजन को और भी भव्य बना दिया।गोष्ठी के समापन पर गोकुल सोनी ने सभी का औपचारिक आभार व्यक्त किया।