पति की मौत के 20 मिनट बाद पत्नी ने तोड़ा:कैंसर से जूझ रहा रहा था; एक साथ घर से उठी दो अर्थी

Uncategorized

ग्वालियर में कैंसर से जूझ रहे पति की मौत के 20 मिनट बाद पत्नी ने भी उससे लिपटकर दम तोड़ दिया, इस घटना ने पूरे गांव को ग़मगीन कर दिया। घर से एक साथ दोनों की अर्थी उठी और एक ही साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। घटना पुरानी छावनी के गांव गंगा-मालनपुर की है। 30 साल पहले दोनों ने मंडप के नीचे हमेशा साथ रहने का जो वादा पूरा किया था, उसे इस तरह साथ मर कर निभाया हैं। गंगा-मालनपुर निवासी 55 वर्षीय हरिचरण यादव LIC (लाइफ इंश्याेरेंस कॉर्पोरेशन) में बतौर एजेंट काम करते थे। साथ ही गांव में खेती का काम भी संभालते थे। यही कारण था कि उनका आसपास के कई गांव में व्यवहार था। 30 साल पहले हरिचरण की शादी किशोरी यादव (51) से हुई थी। एक साल पहले हरिचरण यादव को कैंसर डिटेक्ट हुआ था। धीरे-धीरे उनकी हालत खराब होती जा रही थी। हर समय वह पत्नी किशोरी से कहते थे कि मैं जीना चाहता था, लेकिन शायद भगवान को यही मंजूर है कि मैं तुझे छोड़कर चला जाऊं।
पति की मौत के 20 मिनट बाद पत्नी ने तोड़ा दम
हरिचरण यादव की रविवार शाम करीब 4.30 बजे कैंसर के कारण मौत हो गई। अस्पताल से उनका शव परिजन लेकर घर पहुंचे। उनकी पत्नी किशोरी (51) यह सदमा झेल न सकीं। पति की मौत के 20 मिनट बाद ही शव से लिपटकर रोते-रोते किशोरी ने प्राण त्याग दिए। दोनों की इस अमर प्रेम कहानी ने पूरे गांव को रोने पर मजबूर कर दिया। इनके परिजन, रिश्तेदार और गांव वालों ने दोनों की अर्थी साथ ही सजाई और अंतिम संस्कार भी गंगा-मालनपुर गांव के श्मशान घाट में साथ-साथ ही किया गया। दोनों को पूरे गांव ने अंतिम विदाई दी है। उनके प्रेम और इस तरह एक साथ जाने से हर आंख नम थी।
एक साल पहले गले में हुआ था कैंसर
गंगा मालनपुर के सरपंच विनोद यादव ने बताया कि हरिचरण यादव उनके चाचा थे। वे पेशे से एलआइसी एजेंट थे। गांव में खेत हैं, इसकी भी देखभाल करते थे। करीब एक साल पहले उन्हें गले का कैंसर हो गया था। इसका इलाज चल रहा था, लेकिन जब तक कैंसर होने का पता लगा था, तब तक वह फैल चुका था। फिर भी हरिचरण यादव की पत्नी किशोरी बाई ने हिम्मत नहीं हारी। वह हर कदम पर पति के साथ ही रहीं।
घुमाने, खाना, दवा का रखती थीं ध्यान
हरिचरण को स्वस्थ रखने के लिए उसकी पत्नी उनको रोज सुबह घुमाने ले जाने से लेकर समय पर खाना, दवा देना और दिन-रात उनकी सेवा करना। पिछले एक साल से यही किशोरी बाई की दुनिया थी। लेकिन उनकी इतनी तपस्या के बाद भी हरिचरण यादव कैंसर से जिंदगी की जंग हार गए। किशोरी बाई उनसे इतना प्रेम करती थी कि पति की मौत को बर्दाश्त नहीं कर पाई और 20 मिनट बाद दम तोड़ दिया।
कभी नहीं सुना कि झगड़ा हुआ हो
इन दोनों के प्रेम के बारे में गांव के लोगों ने बताया कि दोनों में आपस में अटूट प्रेम था। जब भी कभी गांव में किसी दंपती का झगड़ा होता था तो दोनों ही सुलह कराते थे। सभी रिश्तेदारों में इनके सामंजस्य का उदाहरण दिया जाता था। हरिचरण हर बात किशोरी की सलाह से ही करते थे। किशोरी बाई भी बिना पति को बताए कोई काम नहीं करती थीं।
परिवार में पीछे तीन बेटे छोड़ गए
हरिचरण और किशोरी बाई के तीन बेटे है। सबसे बड़ा बेटा राहुल, उससे छोटा रवि और शिवम है। राहुल और रवि की शादी हो चुकी है। राहुल भोपाल में परिवार के साथ रहता है। दोनों बेटों की शादी के बाद नाती-नातिन भी हैं। हरिचरण को यह संतुष्टि थी कि उनके दोनों बेटों की शादी हो चुकी थी।