शंकराचार्य मठ इंदौर में प्रवचन:सत्य से बड़ा कोई तप नहीं और झूठ से बड़ा कोई पाप नहीं- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज

Uncategorized

झूठ बोलने वाले का आत्म-सम्मान एक दिन गिर जाता है। यहां तक कि झूठ के कारण उसकी जान पर बन आती है। इसलिए कहा गया है सत्य से बड़ा कोई तप नहीं और झूठ से बड़ा कोई पाप नहीं है। एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने नित्य प्रवचन में सोमवार को यह बात कही। झूठ के कारण हुआ रावण-राम युद्ध महाराजश्री ने कहा कि सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप…झूठ बोलने के कारण से रावण को भगवान से लड़ना पड़ा, जिसके कारण उनके वंश में कोई दिया लगाने वाला तक नहीं बचा। शूर्पणखा रामजी को देखकर मोहित हो गई। उसने आगे रहकर विवाह का प्रस्ताव रामजी के सामने रखा और कहा कि तुम सम पुरुष न मो सम नारी, यह संजोग बिधि रचा बिचारी’…वह रामजी से बोली तुम्हारे समान पुरुष और मेरे जैसी कोई सुंदर नारी नहीं है, इसलिए मैं अब तक कुंवारी रही, जबकि उसका विवाह हो चुका था। भगवान ने सीता की तरफ देखकर बोला- मैं विवाहित हूं, मेरे भाई लक्ष्मण से बात कर लो। लक्ष्मण के मना करने पर वह अपने आपको रोक नहीं सकी और उसका असली राक्षसी चेहरा प्रकट हो गया। लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट दिए। वह रावण से भी झूठ बोली, कि वन में दो राजकुमारों के साथ एक सुंदर स्त्री थी। तुम्हारे लिए मैं उसे लेने गई तो उन्होंने मेरे नाक-कान काट दिए। पता चलने पर खर-दूषण, त्रिसिरा आए, उनका वध कर दिया। रावण ने विचार किया-‘खर दूषन मोहि सम बलवंता। तिन्हहि को मारइ बिनु भगवंता।। सुर रंजन भंजन महि भारा। जौं भगवंत लीन्ह अवतारा।।…’ वह समझ गया कि निश्चत ही नारायण का अवतार हो चुका है। उसने रामजी से युद्ध करने की ठान ली। कहने का मतलब यह है कि वासना की तरफ देखोगे तो नाक-कान कटेंगे और युद्ध भी होगा, जिसमें पूरे वंश का विनाश हो जाएगा।माता-पिता ही सिखा देते हैं बच्चों को झूठ बोलना डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया कि कुछ माता-पिता, कंपनी-फर्मों के स्वामी अपने अधीनस्थों को झूठ बोलना सिखा देते हैं। पिता घर में होता है और बच्चे से कहला देता है कि वह घर में नहीं है। कंपनी वाले भी पेमेंट टालने के लिए कर्मचारियों से झूठ बुलवाते हैं। फिर बच्चे और कंपनी के कर्मचारी अपनों से ही झूठ बोलने लगते हैं। बालक माता-पिता से झूठ बोलता है। कर्मचारी बाजार में घूमते हैं और कहते हैं कि मुझे बुखार आ गया है। इस प्रकार झूठ बढ़ता जाता है।