मुरैना पुलिस की हथियारखाने से पूरे 200 कारतूस चोरी होने का मामला अब गंभीर हो गया है। यह तो केवल पुलिस के कारतूस चोरी होने का मामला है। इससे पहले 2 साल पहले मुरैना के दिमनी क्षेत्र में मिरघान पुलिस चौकी से पुलिस की दो राइफल तथा 70 कारतूस चोरी हो गए थे। बाद में राइफल तो खेत में पड़ी मिल गई थी, लेकिन कारतूस नहीं मिले थे। इस मामले में पुलिस की बात किरकिरी हुई थी। पुलिस ने मामले को छुपाने के लिए बहुत प्रयास किया था लेकिन मीडिया को खबर लग ही गई थी। खास बात यह है कि मिरघान पुलिस चौकी में हुए हादसे के बावजूद मुरैना पुलिस के अधिकारियों ने इससे कोई सबक नहीं लिया। बता दें कि, मिरघान पुलिस चौकी में एक एएसआई तथा दो आरक्षकों का स्टाफ था। उस समय पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार पांडे थे। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ राय सिंह नरवरिया थे। पुलिस चौकी में पदस्थ स्टाफ का असामाजिक तत्वों से मेलजोल था। साथ में उठना बैठना खाना पीना तक था। जिन लोगों ने इस वारदात को अंजाम दिया था, उन्होंने पहले पुलिस चौकी के स्टाफ को पूरी तरह से अपने भरोसे में ले लिया था। पुलिस चौकी के एक कमरे में बंदूक है तथा कारतूस रखे हुए थे। दूसरे कमरे में खाना पीना चल रहा था। रात में जब थाने का स्टाफ सो गया तो असामाजिक तत्व रात में ही बगल में मौजूद दूसरे कमरे का ताला तोड़कर दो राइफल तथा कारतूस उठा ले गए थे। सुबह जैसे ही पुलिस चौकी के स्टाफ को घटना का पता चला तो उनके हाथ पैर फूल गए। पहले उन्होंने अपने स्तर पर राइफल तथा कारतूसों को खोजने की कोशिश की, लेकिन जब वे असफल हो गए तो उन्होंने विभाग के आला अधिकारियों को खबर की। पुलिस की राइफल तथा कारतूस लूटे जाने की सूचना मिलते ही तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ रायसिंह नरवरिया मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने वहां जाकर पूरे मामले की पड़ताल की। जिन लोगों ने राइफल तथा कारतूस चुराए थे उनका पता किया और उन पर दबाव डलवाया। इस दबाव का परिणाम यह निकला कि दोनों राइफल तो वापस हो गई थीं, लेकिन कारतूस बरामद नहीं हो सके थे। बाद में पुलिस ने इस मामले को दबा दिया था। अब समझे इस मामले को मुरैना पुलिस के हथियार खाने से 200 कारतूस गायब हो गए हैं। इस बात की जानकारी जैसे ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को लगी। अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने हथियार खाने में रखें सभी कारतूसों की गिनती करवाई। मामले की सूचना तुरंत चंबल आईजी सुशांत सक्सेना को मिली तो वे तुरंत शनिवार की देर शाम मुरैना पुलिस लाइन पहुंचे। उन्होंने इस मामले में FIR दर्ज करने के आदेश दिए, तब कहीं जाकर अज्ञात चोरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जो कारतूस गायब हुए हैं वह मुरैना में मौजूद SAF की पांचवी सशस्त्र बटालियन के तथा ग्वालियर की सेकेंड बटालियन के हैं। 200 कारतूसों में से कुछ कारतूस SLR राइफल के हैं तथा कुछ कारतूस 9-MM पिस्टल के हैं। कमांडरों ने दी जानकारी पुलिस के आला अधिकारियों को कारतूस गायब होने की सूचना पांचवी बटालियन तथा सेकेंड बटालियन के कमांडरों ने दी। जैसे ही उन्होंने यह सूचना पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ को दी तो उन्होंने तुरंत इसकी सूचना चंबल आईजी सुशांत कुमार सक्सेना को दी। इसके बाद आईजी सुशांत कुमार सक्सेना देर शाम मुरैना पहुंचे। उन्होंने पूरे कारतूसों की गिनती करवाई पर हथियारों की भी गिनती करवाई। जिसमें पाया गया कि केवल 200 कारतूस गायब हैं। सुबह से लेकर शाम तक छुपाती रही पुलिस इस मामले में सबसे खास बात यह है कि, शनिवार की सुबह जब गिनती के दौरान कारतूस कम होने की बात सामने आई, तो पुलिस अधिकारियों ने इस मामले को छिपा लिया। शाम तक मामला सभी को पता लग गया। शाम को जब मीडिया ने पुलिस को घेरा तो मजबूरी में उन्हें इस बात की जानकारी देनी पड़ी। पुलिस के इस रवैया से साफ स्पष्ट होता है कि पुलिस एक तरफ अपने ही माल खाने की रक्षा नहीं कर पा रही है वहीं दूसरी तरफ अगर कोई हादसा हो जाता है तो उस पर तुरंत कार्रवाई करने के बजाय, पुलिस के अधिकारी इस कोशिश में लग जाते हैं कि यह मामला मीडिया तक ना पहुंच सके। बाद में उनकी कोशिश नाकाम हो जाती है और सबके सामने मामला आ जाता है। पुलिस के पास नहीं मौजूद CCTV फुटेज आमतौर पर जब कोई चोरी या लूट होती है तो उसको ट्रेस करने का एक सशक्त माध्यम CCTV कैमरों के फुटेज होते हैं। लेकिन इस मामले में यह बात सामने आ रही है कि जिस जगह हथियार खाना बना हुआ है, वहां पर CCTV कैमरे ही नहीं लगे हैं। जो कैमरे लगे हैं, वह बंद है। पुलिस की यह दूसरी सबसे बड़ी कमी सामने आई है। एक तरफ पुलिस सभी शहर वासियों को अपने मकान तथा दुकानों के बाहर CCTV कैमरे लगाने की नसीहत देते नहीं थकती है वहीं दूसरी तरफ खुद उस पर अमल नहीं करती है। इससे पुलिस का दोहरा चेहरा सामने आ रहा है। एसपी समीर सौरभ का कहना है कि मामले की जांच चल रही है। इसमें दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।