2 साल पहले जिले के 41 शासकीय शाला भवन जर्जर घोषित हुए थे, जिन्हें गिरा दिया गया लेकिन अभी तक उनमें से केवल 5 प्राथमिक स्कूलों के निर्माण का ही बजट स्वीकृत हुआ है। बता दे जिला शिक्षा विभाग ने राशि की मांग की थी। जिसकी स्वीकृति भी मिल गई थी लेकिन अभी जो बजट है, वह केवल 5 प्राथमिक शाला और चार अतिरिक्त कक्ष का बजट मिला है ,जो पर्याप्त नहीं है। इसलिए विभाग इस वित्तीय वर्ष में पुनः प्रयास कर रहा है कि उसे स्थानीय निधि एवं राज्य शिक्षा केंद्र की वार्षिक कार्य योजना के माध्यम से पर्याप्त बजट मिल सके। डीपीसी योगेश शर्मा ने बताया कि 41 भवन के निर्माण की मांग रखी थी, जिसमें 1 कक्ष का बजट 4 लाख 40 हजार रुपए था, जैसे ही बजट की स्वीकृति मिलेगी तो उनका भी निर्माण किया जाएगा। यहां बनेंगे 4 भवन डीपीसी ने बताया कि जिन चार भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिली है, वे ग्रामीण क्षेत्रों में ही बनेंगे। जिनमें दो भवन कुंडम, एक सिहोरा और एक पाटन में बनेगा। इसके अलावा शहर की 91 सरकारी शाला को भी मरम्मत की दरकार है। डीपीसी का कहना है की इसके लिए नगर निगम को भी सुधार कार्य के लिए पत्र लिखा है लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है, जैसे ही मंजूरी मिलेगी वैसे ही शिक्षा उपकर की राशि के माध्यम से रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया जायेगा। पढ़ाई में हो रही है परेशानी शाला भवन ना होने से सामूहिक शिक्षण कराना पड़ रहा है, लिहाजा कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को सामूहिक रूप से बैठा कर शिक्षण कार्य करा रहे हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।