नरसिंहपुर जिले में सनातन चेतना मंच ने बुधवार को बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर एक ज्ञापन सौंपा। मंच ने भारत सरकार से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने की अपील की। ज्ञापन में बांग्लादेश में हो रही हिंसा और धार्मिक असहिष्णुता की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। मंच ने बताया कि स्वतंत्रता के समय बांग्लादेश में 22% हिंदू थे, लेकिन अब उनकी संख्या घटकर 7.9% रह गई है। ज्ञापन में कहा गया कि 5 अगस्त 2024 के बाद से बांग्लादेश में हजारों हिंदुओं की हत्या और 6,000 से अधिक हमले दर्ज किए गए हैं। मंदिरों को तोड़ने और मूर्तियों का अपमान करने जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। महत्वपूर्ण घटनाएं जो अब तक हुईं 1. 25 नवंबर 2024: ढाका में इस्कॉन के प्रमुख स्वामी चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी को झूठे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 2. 24 नवंबर 2024: बगेरहाट में एक हिंदू लड़की को जबरन धर्मांतरण कर आतंकी संगठन में शामिल किया गया। 3. 20 नवंबर 2024: बरिसाल में हिंदू समुदाय के घर और दुकानें जला दी गईं। 4. 19 सितंबर 2024: सिलहट में बौद्ध और हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया। यह रहीं मुख्य मांगें 1. भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए ताकि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो और स्वामी चिन्मय प्रभु को बिना शर्त रिहा किया जाए। 2. संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से बांग्लादेश को जवाबदेह ठहराया जाए। 3. अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचारों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दी जाए। 4. बेदखल हिंदू परिवारों को पुनः उनकी जमीन और संपत्ति लौटाई जाए। सनातन चेतना मंच ने यह स्पष्ट किया कि यह केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक धरोहर पर भी हमला है। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाए जाएं।