नर्मदा किनारे भट्टयान बुजुर्ग आश्रम के संत 1008 श्री सियाराम बाबा (108 लगभग) के स्वास्थ्य में गिरावट के बाद 2 दिन पहले उन्हें सनावद के एक निजी अस्पताल में अनुयाई ले गए थे। डॉक्टर ने जांच के बाद उन्हें निमोनिया की शिकायत बताई थी। संत के स्वास्थ्य की चिंता को लेकर अनुयाई बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे थे। उनके स्वास्थ्य में सुधार के बाद मंगलवार को सुबह 8.30 बजे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। डॉ. सुभाष मोरी ने बताया कि संत के स्वास्थ्य में पहले की तुलना में काफी सुधार है। संत के कहने पर उन्हें डिस्चार्ज किया है। उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखी जा रही है। बाबा के नजदीकी भक्तों ने कहा कि बाबा पूर्ण स्वस्थ होकर नर्मदा तट भट्यान आश्रम पहुंच रहे है। कठोर मौन तप बाद “सियाराम” उच्चारण से हुआ नामकरण
अनुयायी बताते हैं कि संत सियाराम बाबा का जन्म 1933 में गुजरात के भावनगर में हुआ था। 17 वर्ष की आयु में उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हो गए। अपने गुरु के साथ कई वर्षों तक शिक्षा ग्रहण करने व तीर्थ भ्रमण बाद वे नर्मदा तट स्थित भट्याण गांव पहुंचे। यहीं एक पेड़ के नीचे खड़े रहकर मौन रहकर कठोर तप किया। उनकी साधना पूर्ण हुई तो उन्होंने सियाराम उच्चारण किया। तभी से उन्हें सियाराम बाबा के नाम से बुलाने लगे।