शाजापुर की श्रीराममंदिर की जमीन से हटेगा अतिक्रमण:हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने पांचों कब्जाधारियों की याचिकाएं खारिज की

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शाजापुर में दुपाड़ा रोड स्थित श्रीराम मंदिर की जमीन से अतिक्रमण हटाने का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 2 दिसंबर काे पांच कब्जाधारियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया। इससे अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर लगा स्टे भी हट गया है। अब गेंद प्रशासन के पाले में है कि वह कार्रवाई कब शुरू करता है। हालांकि, अधिकारी अभी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। दरअसल, प्रशासन ने 29 नवंबर काे मंदिर की भूमि से एक धर्मशाला और दो दुकानों को तोड़ दिया था। शेष कब्जा धारियों को समय देकर अतिक्रमण तोड़ने को कहा गया था, लेकिन इस बीच 5 कब्जा धारी हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ पहुंच गए और उन्होंने जिला कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन अब खंडपीठ ने जिला कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ खेल शाजापुर के मगरिया पटवारी हलका 35 की भूमि सर्वे नंबर 79, 80, 81, 85, 86, 87, 88, 89, 90 जो माफी श्रीराम मंदिर (पलटन के पास) की भूमि है। इस पर सर्वे नंबर 95/2 के माध्यम से रजिस्ट्री कर यहां 37 लोगों का कब्जा करा दिया गया, जबकि सर्वे नंबर 95/2 अन्य किसी स्थान पर है। यह पूरा खेल राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ। अब इनकी गलती का खामियाजा 37 लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इनमें से अधिकांश 30 साल से काबिज हैं। मामला संज्ञान में आने के बाद तहसील कोर्ट ने सभी कब्जा धारियों को अतिक्रमणकारी मानते हुए भूखंड का विक्रय करने वालों के सभी दावों को खारिज कर दिया। माफी श्रीराम मंदिर (पलटन के पास) की भूमि पर पूर्व में की गई जांच में 37 कब्जा धारी सामने आए थे। इनकी बेदखली के लिए तहसील कोर्ट ने इंदौर हाई कोर्ट के निर्देशानुसार अलग-अलग नोटिस जारी किए। इस पर कब्जा धारियों ने जवाब प्रस्तुत किए थे। निचली अदालत में भूमि विक्रेता कृष्णा सोलंकी, संजय सोलंकी, सचिन सोलंकी, सीमा और सुनीता ने वाद प्रस्तुत किया कि उक्त भूमि माफी श्रीराम मंदिर की नहीं है। भूमि का सर्वे क्रमांक 95 है। नक्शे में गलती के कारण उनकी निजी भूमि को माफी श्रीराम मंदिर की भूमि बताया जा रहा है। इस मामले में अपीलीय न्यायालय (तृतीय जिला न्यायाधीश), शाजापुर ने तहसीलदार के बेदखली आदेश के खिलाफ केस के अंतिम निराकरण तक अतिक्रमण धारियों को भूमि से बेदखल नहीं करने का स्टे दिया था। अपीलीय न्यायालय (तृतीय जिला न्यायाधीश) ने इस प्रकरण में सुनवाई के बाद 26 नवंबर को भूमि को निजी भूमि बताने वाले दावे को खारिज कर दिया था। जल्द ही हटाएंगे अतिक्रमण वहीं मामले में शाजापुर तहसीलदार मधु नायक का कहना है कि श्रीराम मंदिर की भूमि पर तहसीलदार न्यायालय ने बेदखली के आदेश पारित किए थे। अतिक्रमण कर्ताओं ने शाजापुर जिला न्यायालय में याचिका दायर की थी। 26 नवंबर को जिला न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद पांच लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी। अब जल्दी ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी।