संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने अतारांकित प्रश्न के माध्यम से श्रम और रोजगार मंत्री से पूछा सवाल। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने पर विचार कर रही है। यदि हां, तो क्या इस नीति में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के युवाओं में बेरोजगारी की समस्या पर ध्यान दिया जाएगा, यदि हां, तो उसका ब्यौरा क्या है,और यदि नहीं तो इसके क्या कारण है? सांसद डॉ. सोलंकी के सवाल का लिखित जवाब देते हुए श्रम और रोजगार राज्य मंत्री सुश्री शोभा कारान्दलाजे ने बताया कि रोजगार सृजन के साथ-साथ नियोजनियता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है और यह बहु-हितधारक संबंधी पहल है। तदनुसार, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय-विभाग जैसे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय आदि अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के युवाओं सहित अन्य के लिए विभिन्न रोजगार सृजन योजनाएं- कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहे हैं। इन रोजगार सृजन योजनाओं-कार्यक्रमों का ब्यौरा htt://dge.gov.in./dge/schemes_programmes पर देखा जा सकता है। श्रम और रोजगार मंत्रालय विशेष रूप से अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के युवाओं के लिए देश भर में 25 राष्ट्रीय करियर सेवा केन्द्रों (एनसीएससी-एससी-एसटी) के नेटवर्क के माध्यम से रोजगार चाहने वालों के लिए “वेलफेयर ऑफ एससी-एसटी योजना” को कार्यान्वित कर रहा है जिसका उद्देश्य नौकरी के इच्छुक एससी-एसटी के युवाओं को श्रम बाजार की मांगों के अनुरूप तैयार करने हेतु भर्ती पूर्व प्रशिक्षण, व्यावसायिक परामर्श, करियर सलाह और कम्प्यूटर ट्रेनिंग इत्यादि द्वारा उनकी नियोजनीयता को बढ़ाना है। इसके साथ-साथ, बजट 2024-25 में 1,07,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ घोषित की गई रोजगार सम्बंध प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना का उद्देश्य ईपीएफओ के माध्यम से एससी-एसटी युवाओं सहित अन्य सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करके रोजगार सृजन और कार्यबल को औपचारिक रूप प्रदान करना, नियोजनीयता में वृद्धि करना तथा कर्मचारियों और नियोक्ताओं को प्रोत्साहन देने के माध्यम से अतिरिक्त रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है।