नरसिंहपुर के देव मुरलीधर मंदिर ट्रस्ट का मामला:न्यायालय के आदेश की अवहेलना; ट्रस्टी नियुक्ति में देरी से लोगों में असंतोष

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नरसिंहपुर जिले के नयाखेड़ा ग्राम स्थित प्राचीन देव मुरलीधर मंदिर के ट्रस्ट को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। 125 एकड़ भूमि से जुड़े इस मंदिर ट्रस्ट का पुनर्गठन कई वर्षों से लंबित है, जिससे पांच संबंधित गांवों – नयाखेड़ा, गरगटा, सगौनी (खुर्द), सगौनी (लकड़याउ), और सगौनी (चौधरी) के लोगों में असंतोष व्याप्त है। इसे लेकर सोमवार को हुई प्रेसवार्ता में स्थानीय निवासी कंछेदी पटेल ने बताया की देव मुरलीधर मंदिर ट्रस्ट की स्थापना 1988 में न्यायालय के निर्देश पर हुई थी, जिसमें मतदाताओं द्वारा सात ट्रस्टियों और एक अध्यक्ष का चुनाव किया गया था। वर्तमान में पांच ट्रस्टियों के निधन के बाद रिक्त पदों को भरने के लिए ट्रस्ट का पुनर्गठन आवश्यक हो गया है। आवेदक कंछेदी पटैल द्वारा जिला न्यायाधीश नरसिंहपुर के समक्ष नए ट्रस्टियों की नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रथम अपर जिला न्यायाधीश अखिलेश धाकड़ ने 6 मई 2023 को आदेश दिया कि गुप्त मतदान के माध्यम से आम चुनाव कराकर ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जाए। इसके बावजूद, पंजीयक लोक न्यास और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया गया। ग्रामीणों ने लोक न्यास पंजीयक से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक कई स्तरों पर शिकायतें दर्ज कराईं। लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। जन सुनवाई में भी आवेदन दिए गए, लेकिन प्रशासन ने चुनाव प्रक्रिया पूरी कराने में कोई रुचि नहीं दिखाई। देरी के कारण ग्रामीणों में असंतोष और नाराजगी बढ़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि ट्रस्ट के पुनर्गठन में हो रही लापरवाही मंदिर की व्यवस्था और गांवों की आस्था के साथ खिलवाड़ है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंजीयक लोक न्यास और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नरसिंहपुर की कार्यप्रणाली पर संदेह उत्पन्न हो रहा है। उन्होंने मांग की है कि न्यायालय के आदेश का शीघ्र पालन करते हुए ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जाए। स्थानीय निवासी कंछेदी पटेल ने कहा की न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद, चुनाव प्रक्रिया में देरी करना प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। मंदिर के रख-रखाव और धार्मिक आस्था की रक्षा के लिए ट्रस्ट का गठन जरूरी है। साथ ही प्रशासन और संबंधित विभागों से अपील की है कि जल्द से जल्द चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जाए, ताकि मंदिर की व्यवस्था सुचारू हो सके और लोगों की आस्था बनी रहे।