मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्कूल चले हम अभियान की शुरुआत की गई थी, लेकिन यह अभियान पूरी तरह से कारगर साबित होता नही दिख रहा। आलम यह है कि जिले के तकरीबन 10 ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां बच्चों का नामांकन शून्य है, लिहाजा इन स्कूलों को जल्द ही शिक्षा विभाग ने बंद कर दिया है। वहीं 83 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जो एक से 10 एनरोलमेंट वाले हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार ने योजना बनाई है की कम एनरोलमेंट वाले सरकारी स्कूलों को सीएम राइज विद्यालयों में मर्ज कर दिया जाए। लेकिन नियमानुसार इन स्कूलों के लिए परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पाई। जब तक परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित नहीं होगी तब तक स्कूलों को बंद नहीं किया जा सकता। 10 में से 2 सीएम राइस स्कूल के ही बने भवन जिला शिक्षा विभाग के डीपीसी योगेश शर्मा ने बताया कि वर्तमान में जबलपुर में 10 सी एम राइस स्कूल बनना है परंतु अभी सिर्फ दो ही भवन बनाए गए हैं इसके साथ ही सीएम राइस स्कूल में परिवहन व्यवस्था भी सुनिश्चित नहीं हो पाई है। लिहाजा इन स्कूलों को अभी संचालित किया जा रहा है जैसे ही सीएम राइज स्कूल के भवनों का निर्माण हो जाएगा और परिवहन की व्यवस्था पुख्ता हो जाएगी उसके बाद इन सरकारी स्कूलों को सीएम राइज स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा प्रवेश संख्या में भारी कमी सरकारी स्कूलों में लगातार नामांकन में गिरावट आ रही है। इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से लगातार प्रयास भी किया जा रहे हैं। बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं, विभाग के डीपीसी के मुताबिक 83 स्कूल ऐसे भी हैं जो एक से 10 एनरोलमेंट वाले हैं यानी यहां पर विभिन्न कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या 1 से लेकर 10 तक ही है, और इन स्कूलों को भी सीएम राइज स्कूलों में मर्जी किया जाना है। इनमें पाटन मझौली और जबलपुर ग्रामीण के कुछ स्कूल शामिल है। भिक्षा वृत्ति में लगे 127 बच्चों को पहुंचाया स्कूल
डीपीसी के अनुसार कलेक्टर दीपक सक्सेना ने भिक्षावृत्ति को रोकने का अभियान चलाया हुआ है। इसी के तहत शहरी क्षेत्रों में भिक्षा वृत्ति में लगे बच्चों को भी शाला की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है अब तक विभिन्न चौराहों पर भिक्षा वृत्ति में लगे 127 बच्चों को चिन्हित करके उन्हें शाला की मुख्य धारा से जोड़ा गया है। 4 हज़ार बच्चे चिह्नित शिक्षा विभाग द्वारा ड्रॉप बॉक्स में लगभग 4000 बच्चे चिह्नित किए गए हैं, जो की आउट ऑफ स्कूल है कक्षा पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक के बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिन्हें शाला की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। साथ यह भी बताया पता लगाया जा रहा है कि बच्चे स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं। कहीं इसका कारण पलायन तो नहीं है। लेकिन जब इसके लिए सर्वे किया गया तो कई कारण सामने आए। जैसे ग्रामीण और शहरी परिवेश में बच्चों को स्कूल आने में अलग-अलग परेशानियां है। जहां तक ग्रामीण क्षेत्र की बात है तो यहां पालक खेती बाड़ी करते हैं और वह अपने बच्चों से खेत में काम करवाते हैं। जैसे सीजनल मटर तोड़ने और महुआ बीनने के काम में लगा लेते हैं और उन्हें स्कूल नहीं भेजते जिन्हें शाला की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इसी के तहत ऐसे पालकों को अभिभावक सम्मेलन में बुलाकर उन्हें जागरूक किया जा रहा है कि वह बच्चों को स्कूल भेजें।