रानी दुर्गावती के कुलगुरु की नियुक्ति गलत तरीके से हुई:एनएसयूआई ने कहा- पद के काबिल नहीं; कुलगुरु बोले- राज्यपाल ने की है नियुक्ति

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जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीवीवी) के कुलगुरु की नियुक्ति पर नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने सवाल उठाए हैं। एनएसयूआई ने उनकी पदस्थापना को गलत बताया है। एनएसयूआई का कहना है कि डॉ. राजेश कुमार वर्मा कुलगुरु पद के काबिल नहीं हैं। उन्हें यह पद खुद छोड़ देना चाहिए। एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष सचिन रजक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा- रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजेश कुमार वर्मा की नियुक्ति में नियमों और योग्यता की अनदेखी की गई है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। पद के लिए योग्य नहीं होने की दो वजह
एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित मिश्रा ने इसे और स्पष्ट करते हुए बताया कि डॉ. राजेश कुमार वर्मा के मूल पद यानी प्राध्यापक पद पर नियुक्ति में गड़बड़ियां हैं। डॉ. वर्मा को पीएचडी 25 नवंबर 2008 को प्रदान की गई थी। इसके बाद 19 जनवरी 2009 को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्राध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए रोजगार और निर्माण में विज्ञापन जारी किया। इस विज्ञापन में प्राध्यापक पद (प्रथम श्रेणी) के लिए दो क्वालिफिकेशन जरूरी की गई थीं। अमित का कहना है कि ऐसे में यह साफ है कि डॉ. वर्मा का रिसर्च डायरेक्टर के रूप में एक्सपीरिएंस शून्य था। क्या कहता है यूजीसी का नियम?
एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित के मुताबिक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का नियम यह कहता है कि किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति/कुलगुरु पद के लिए उम्मीदवार के पास प्राध्यापक/वरिष्ठ आचार्य के पद पर कम से कम दस साल का वर्क एक्सपीरिएंस होना जरूरी है। जिस व्यक्ति की मूल पद पर नियुक्ति ही गलत है, उसे विश्वविद्यालय का कुलगुरु बनाना यूजीसी के नियम का उल्लंघन है। तत्कालीन आयुक्त, उच्च शिक्षा ने जांच के लिए रिकमेंड किया था
2009 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ियां की गई थीं। तत्कालीन आयुक्त उच्च शिक्षा ने भी अपनी नोटशीट में जिक्र किया था कि इस भर्ती परीक्षा में विसंगतियां हो रही हैं। आयुक्त ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की भी अनुशंसा की थी। हालांकि, बाद में जांच नहीं हुई। एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष रजक ने कहा कि डॉ. वर्मा का सिलेक्शन इसी भर्ती के जरिए हुआ। इसी भर्ती से सिलेक्टर और भी लोग आज प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में उच्च पदों पर हैं। कुलगुरु बोले- राज्यपाल ने की है नियुक्ति
एनएसयूआई के आरोप पर कुलगुरु डॉक्टर राजेश वर्मा ने कहा- शासकीय अधिनियम के अंतर्गत राज्यपाल ने नियुक्ति की है। इस विषय में जो भी प्रश्न करने हैं, तो उस नियम को लेकर आएं, जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं। किसी के कहने पर एनएसयूआई के छात्र आरोप लगाएं और नियम को शिथिल करें, तो ऐसा नहीं होता है। नियम बनता है यूजीसी रेगुलेशन एक्ट से और इसी के तहत ही नियुक्ति हुई है। 32 प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की नियुक्ति नए सिरे से
मध्यप्रदेश सरकार के अधीन मध्यप्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन (एमपीपीयूआरसी) ने बीते दिनों प्रदेश की 53 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में से 32 के कुलगुरुओं की नियुक्ति को गलत ठहराकर निरस्त कर दिया है। एमपीपीयूआरसी ने पाया कि इन कुलगुरुओं की यूजीसी के मानक और नियम के खिलाफ की गई थी। नए सिरे से नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं। संबंधित अदालती मामले