मानसरोवर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के तीन आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में दीक्षारंभ 2024 का आयोजन हिनौतिया आलम स्थित मानसरोवर कैम्पस में धूमधाम से किया गया। कार्यक्रम के चौथे दिन विद्यार्थियों को न केवल आयुर्वेद के वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण से परिचित कराया गया, बल्कि उन्हें एंटी रैगिंग, हाइजीन एंड सेनेटाइजेशन, और सेल्फ कॉन्फिडेंस एंड पर्सनल ग्रोथ जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी जागरूक किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय ने आयुर्वेद के वैश्विक दृष्टिकोण पर बात करते हुए कहा कि “आज संपूर्ण दुनिया में लाइफस्टाइल डिसऑर्डर एक प्रमुख समस्या बन चुका है। इस पर आयुर्वेद के उपायों से बड़े पैमाने पर काम किया जा सकता है। आने वाले वर्षों में ब्रिटेन में 10,000 से ज्यादा आयुर्वेदिक डॉक्टरों की आवश्यकता होगी और ऐसे में आयुर्वेद के छात्रों को संस्कृत और अंग्रेजी में भी दक्षता प्राप्त करनी होगी ताकि वे इस अवसर का लाभ उठा सकें।” कार्यक्रम का शुभारंभ आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय, आरोग्य भारती के केंद्रीय कार्यालय संयोजक मिहीर कुमार, मध्यभारत प्रांत के संगठन सचिव डॉ. मुकेश कुमार दीक्षित, नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के प्रमुख डॉ. एस.एस. पंड्या, मानसरोवर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के चीफ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गौरव तिवारी, मानसरोवर समूह के आयुर्वेद संचालक डॉ. बाबुल ताम्रकार, मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग सिंह राजपूत, श्री साईं इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के प्राचार्य डॉ. भारत चैरागड़े, और फैकल्टी ऑफ आयुर्वेद के प्राचार्य डॉ. श्रीकांत पटेल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। गौरव तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि “आयुर्वेद एक पौराणिक ज्ञान है, जिसे भविष्य में और भी अधिक महत्व मिलने वाला है। हमें केवल इसके इतिहास में नहीं, बल्कि आज के दौर में इसके चलन और भविष्य की संभावनाओं को भी समझने की आवश्यकता है।” दीक्षारंभ कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को भविष्य में आयुर्वेद के क्षेत्र में आने वाली संभावनाओं के बारे में गहरी जानकारी दी गई। एंटी रैगिंग, हाइजीन और सेल्फ कॉन्फिडेंस जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को जागरूक किया, ताकि वे अपने शैक्षिक जीवन को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचा सकें। इस अवसर पर मानसरोवर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के प्राचार्य और अन्य शिक्षाविदों ने भी विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्हें अपने शैक्षिक और व्यावसायिक जीवन में आयुर्वेद के महत्व को समझने और अपनाने की सलाह दी।