छतरपुर जिले का गढ़ा गांव प्याज-लहसुन मुक्त है। यहां 57 रेस्टोरेंट व भोजनालय हैं। सभी में सात्विक थाली मिल रही है। सब्जी विक्रेताओं ने भी प्याज-लहसुन बेचना बंद कर दिया। गांव के किसान भी अब प्याज-लहसुन नहीं उगा रहे।
इस गांव में बागेश्वर धाम है। पीठाधीश्वर पं.धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इसी गांव के हैं। उनके आह्वान पर गांव के हर जाति के परिवार ने प्याज-लहसुन छोड़ दिया। चूंकि धाम में मनोकामना लेकर आने वाले श्रद्धालु भी प्याज-लहसुन नहीं खाते, इसलिए यहां इनकी मांग ही नहीं रही। प्याज-लहसुन नहीं बिकता, इसलिए रखना भी बंद टीकमगढ़ जिले की लक्ष्मी पति मुकेश राय ने बताया कि वे पिछले 8 माह से गढ़ा गांव में सब्जी की दुकान लगा रही हैं लेकिन वे प्याज-लहसुन नहीं बेचती। उन्होंने कहा कि यहां कहीं मिलती भी नहीं है। मैं अपनी दुकान पर प्याज-लहसुन छोड़ शेष सभी सब्जियां रखती हूं। गांव वाले भी प्याज-लहसुन की डिमांड नहीं करते। इसलिए बेचने के लिए कभी बाहर से लाते भी नहीं है। 6 एकड़ जमीन है, अब प्याज उगाना बंद गढ़ा गांव के किसान बृजलाल कुशवाहा ने बताया कि मेरी 6 एकड़ जमीन है। जिस पर सब्जी के अलावा अन्य फसलें भी उगाते हैं लेकिन प्याज-लहसुन नहीं उगाते। उन्होंने बताया कि वे पहले उगाते थे लेकिन गांव में जब से बालाजी सरकार का दरबार लगने लगा तब से प्याज-लहसुन की खेती करना बंद कर दिया है। बैगन, आलू-टमाटर व अन्य सभी सब्जियां उगाते हैं। हमारी समाज के अन्य किसान भी प्याज-लहसुन नहीं उगाते। टमाटर की मांग बढ़ी, सलाद में प्याज बंद गढ़ा गांव के मन्नू प्रजापति ने बताया कि वे पूरे गांव में ठेले से फेरी लगाकर सब्जी बेचते हैं लेकिन अपने ठेले से प्याज-लहसुन नहीं बेचते। ठेले पर अन्य सब्जियां तो मिलेंगी लेकिन प्याज-लहसुन नहीं मिलेगा क्योंकि गांव में कोई भी सलाद में भी प्याज नहीं खाता। हालांकि इसकी जगह टमाटर की मांग बढ़ गई है। गांव में जब से बालाजी सरकार का दरबार लग रहा है तब से प्याज-लहसुन बिकना बंद हो गया।