कुर्की से बचने स्वास्थ्य विभाग ने कोर्ट में मांगी मोहलत:वकील की मांग- हेल्थ डायरेक्टर के खाते फ्रीज करें; अधिकारी बोले- सिस्टम गड़बड़ा जाएगा

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कोलकाता की नीटापोल कंपनी से साल 2013 में 50 लाख की कीटनाशक दवाएं खरीदकर पेमेंट न करने के मामले में स्वास्थ्य विभाग बैकफुट पर है। कंपनी की याचिका पर कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को 19 करोड़ 70 लाख रुपए चुकाने का आदेश दिया था। इस मामले को लेकर भोपाल जिला कोर्ट की एग्जिक्यूशन बेंच के कर्मचारी स्वास्थ्य संचालनालय की कुर्की करने पहुंचे थे। हालांकि, विभाग ने कुछ दिन का समय मांगा था। गुरुवार को भोपाल कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान विभाग के वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ. संजय खरे कोर्ट में मौजूद रहे। स्वास्थ्य संचालक की ओर से डॉ. संजय खरे ने निजी मुचलका देते हुए समय मांगा। डॉ. खरे ने कोर्ट से कुछ और टाइम देने की मांग की। उन्होंने कहा- कंपनी को भुगतान के लिए सारी कार्रवाई करके वित्त विभाग को फाइल भेज दी गई है। दो से तीन सप्ताह में कंपनी को पेमेंट हो जाएगा। विभाग के सीए की रिपोर्ट कोर्ट में लेकर पहुंचे सीनियर जॉइंट डायरेक्टर
कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ. संजय खरे विभाग के चार्टर्ड अकाउंटेंट की रिपोर्ट लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा कि जो राशि कंपनी को देने का आदेश दिया गया है, हमारे सीए की रिपोर्ट में उस राशि में बड़ा अंतर है। कंपनी को करीब 19 करोड़ 70 लाख रुपए भुगतान करने का आदेश दिया गया है। जबकि, विभाग के सीए की ओर से करीब साढे़ तीन करोड़ रुपए का ही हिसाब बताया गया है। इस पर कंपनी के वकील ने कहा कि आप सीए की रिपोर्ट दे दीजिए। हम अपने सीए द्वारा बताई गई राशि का डिटेल बता देंगे। कोलकाता की नीटापोल कंपनी के वकील पूर्णाशीष भुईंया ने बताया- स्वास्थ्य विभाग से जॉइंट डायरेक्टर डॉ. खरे ने कोर्ट में इन पर्सन एफपीआर लिया। इन पर्सन एफपीआर यानी कोर्ट में उपस्थित होकर जज से टाइम मांगा। डॉ. खरे ने कहा कि पेमेंट के लिए सारी कार्रवाई करके फाइनेंस डिपार्टमेंट में भेज दी गई है। वहां से 2 से 3 सप्ताह में पेमेंट हो जाएगा। उन्होंने एक सीए का अकाउंट दिया है। उसमें थोड़ा हमारे अमाउंट से डिफर कर रहा है। हमने वो कोर्ट से मांगा है। हम उसे टैली कर लेंगे। चार्टेड अकाउंटेंट का सर्टिफिकेट हम मांगेंगे। आगे बताया- जज ने 23 दिसंबर से पहले पेमेंट करने के आदेश दिए हैं। नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। इसमें कुर्की और बॉडी वारंट होगा। हेल्थ डिपार्टमेंट के जितने भी डायरेक्टर हैं, उनके ऊपर ये कार्रवाई होगी। पूर्णाशीष भुईंया के मुताबिक- डॉ. खरे ने बोला था कि सुप्रीम कोर्ट में हम याचिका दायर करेंगे। लेकिन, अभी तक किसी बेंच में कोई मामला दाखिल नहीं किया गया है। आज हेल्थ डायरेक्टर ने जज से रिक्वेस्ट की और ये स्वीकार किया कि सुप्रीम कोर्ट में अब तक विभाग की ओर से याचिका को लेकर कुछ नहीं हुआ। साथ ही उन्होंने एक अंडरटेकिंग दी है कि 23 दिसंबर तक पेमेंट कर दी जाएगी। एससी में सिर्फ एक डायरी भेजी गई, मामला दाखिल नहीं पूर्णाशीष ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में बस एक डायरी भेजी गई है। अभी तय नहीं है कि कब तक मामला दाखिल होगा और मेंशन किया जाएगा। जब होगा तो हमारे पास नोटिस आएगा। शायद सुप्रीम कोर्ट में दूसरी बार रिव्यू नहीं हो पाएगा। रिव्यू का टाइम पीरियड 30 दिन का होता है। जजमेंट को दो साल से ज्यादा समय हो गया है। एमएसएमई 2006 के रूल्स के अनुसार अवॉर्ड चैलेंज करने के लिए 75 प्रतिशत पैसा जमा करना होगा। वो जब तक नहीं करेंगे। शायद सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटीशन नहीं सुनेगा।