इस साल कई अन्य त्योहारों की तरह ही मार्गशीर्ष अमावस्या को लेकर भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अमावस्या तिथि 30 नवंबर को सुबह 9.30 बजे शुरू होकर 1 दिसंबर को सुबह 11 बजे तक रहेगी। ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या पर स्थिति स्पष्ट करने को लेकर उज्जैन प्रशासन ने भी ज्योतिषाचार्यों से संपर्क किया है। शनिश्चरी अमावस्या होने पर प्रशासन को नवग्रह शनि मंदिर त्रिवेणी संगम पर स्नान के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाएं करना पड़ती। दैनिक भास्कर ने शहर के ज्योतिषाचार्यों पं. अमर डिब्बा वाला नवग्रह शनि मंदिर के पुजारी शैलेन्द्र त्रिवेदी से इस बारे में चर्चा की। दोनों ही विद्वानों ने रविवार को ही अमावस्या मनाना श्रेष्ठ बताया है। शनिवार को उदय कालीन तिथि चतुर्दशी ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि 30 नवंबर शनिवार को मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि ही है। चतुर्दशी तिथि शनिवार को सुबह 11 बजे तक रहेगी। इस दृष्टि से यह चतुर्दशी ही कहलाएगी। इस दिन शनिश्चरी अमावस्या नहीं है। पंचांग की गणना, उदय कालीन तिथि का गणित एवं पर्व काल की स्थिति के आधार पर 30 नवंबर को चतुर्दशी तिथि रहेगी। रविवार 1 दिसंबर के दिन स्नान दान की अमावस्या होगी। इस दिन तीर्थ पर जाकर स्नान दान किया जा सकता है। 30 नवंबर को चतुर्दशी पर दान का महत्व