इंदौर में ‘वास्तुशास्त्र’ पर कार्यशाला:मेडी-केप्स विश्वविद्यालय में दो दिवसीय वर्कशॉप में सीखी भवन योजना और निर्माण की प्राचीन तकनीक

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मेडी-केप्स विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने इंस्टिट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स के सहयोग से “भवन योजना और निर्माण की प्राचीन तकनीकें : वास्तुशास्त्र ” पर कार्यशाला का आयोजन किया। उद्घाटन समारोह में कुलगुरु प्रो. (डॉ.) डी.के. पटनायक और कुलसचिव पी. सिलुवैनाथन की उपस्थिति रही। मुख्य अतिथि नीरज आनंद लिखर (मुख्य नगर नियोजक, आई.एम.सी.) , विशिष्ट अतिथि सत्येंद्र तिवारी (कार्यकारी निदेशक, उत्पादन), आर.पी. गौतम (पूर्व अध्यक्ष, इंजीनियर्स संस्थान, इंदौर ) और रमेश चौहान (मान्य सचिव, इंजीनियर्स संस्थान, इंदौर ) का स्वागत प्रति कुलगुरु प्रो. (डॉ.) डी.के. पांडा, प्रो. (डॉ.) प्रमोद एस. नायर और डॉ. चयन गुप्ता ने किया। कार्यशाला के प्रमुख सत्रों में वास्तु शास्त्र और निर्माण की प्राचीन तकनीकों पर गहन चर्चा की गई। इस कार्यशाला के माध्यम से इंदौर के विभिन्न कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के सौ से अधिक शिक्षकगण तथा विद्यार्थियों ने ज्ञान अर्जित किया। इस कार्यशाला में डॉ. आचार्य राजेश ने भवन निर्माण में दिशा निर्धारण एवं समय के महत्व और इसके व्यक्ति की जीवनशैली पर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डाला। डॉ. मनीष दुबे ने रामायण में सिविल इंजीनियरिंग का विश्लेषण करते हुए उनके ऐतिहासिक और आधुनिक महत्व पर चर्चा की। वहीं, प्रो. अजीत के. जैन ने प्राकृतिक तत्वों के साथ निर्माण डिजाइन को संतुलित करने और वास्तुशास्त्र के अनुप्रयोग तथा मंदिर निर्माण में वास्तुशास्त्र की उपयोगिता को विस्तार से समझाया। इस सत्र में प्रो. (डॉ.) विजय कुमार शर्मा, वास्तु विभाग, पाणिनि विश्वविद्यालय, उज्जैन ने वेदों और पुराणों में वास्तुशास्त्र का ज्ञान प्रदान किया। इस कार्यशाला ने छात्रों को वास्तुशास्त्र और प्राचीन तकनीकों को आधुनिक निर्माण में लागू करने का ज्ञान प्रदान किया। गोधा एस्टेट स्थित सुमतिधाम मंदिर के भ्रमण से प्रतिभागियों ने वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों को वास्तविक निर्माण में देखने और समझने का अनुभव प्राप्त किया। समापन समारोह में सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं को सम्मानित किया गया, जिसमें प्रो. (डॉ.) शिल्पा त्रिपाठी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण विभाग और इंस्टिट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स की सदस्य ने विशेष भूमिका निभाई। इस कार्यशाला ने छात्रों को वास्तुशास्त्र के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं को समझने का अवसर प्रदान किया।