ग्वालियर मध्यप्रदेश का सबसे ज्यादा धूल से प्रदूषित शहर है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने साल भर (2023 – 2024) की रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट पीएम-10 पर है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर मॉडरेट कैटेगरी में हैं। प्रदेश के पांचों महानगरों में उज्जैन की स्थिति ही संतोषजनक है। पीएम-10 आसानी से सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए घातक होते हैं। पांच साल तक के छोटे बच्चों और सीनियर सिटिजन के लिए खतरनाक होते हैं। खबर में आगे बढ़ने से पहले जानते हैं… निगम, पालिका को कराना चाहिए पानी का छिड़काव
पर्यावरणविद् सुभाष पांडे के मुताबिक, ‘यह रिपोर्ट साल भर का एवरेज है। साल भर के लोग इसी हवा में रहते हैं। पीएम-10 सांस के जरिए हमारे ब्लड सर्कुलेशन में चले जाते हैं। गंभीर बीमारियों का कारण तो बनते ही हैं, आंख में इरिटेशनल बीमारियां पैदा करते हैं।’ कैसे बचा जा सकता है? इसके जवाब में वे बताते हैं, ‘जिन शहरों में एवरेज एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 100 से ज्याद है, वहां के लोगों को अपनी नगर निगम/पालिका से मांग करनी चाहिए कि शहर में रोजाना सभी सड़कों पर कम से कम दो बार स्प्रिंकलर चलाया जाना चाहिए। अगर स्प्रिंकलर का छिड़काव हर 3 घंटे के अंतराल में होता रहेगा, तो पीएम-10 की वैल्यू काफी कम हो जाएगी। हवा की क्वालिटी में सुधार होगा।’ सीएनडी वेस्ट है पीएम-10 बड़ी वजह
पर्यावराविद् पांडे का कहना है कि पीएम-10 का बड़ा कारण कंस्ट्रक्शन और डेमोलेशन (सीएनडी) वेस्ट है। दूसरा बड़ा कारण- सड़कों का टूटा-फूटा और कच्चा होना है। इन सड़कों पर गाड़ी के टायरों के रगड़ने से धूल पैदा होती है। इसके अलावा खुले में हो रहे निर्माण भी इसका एक कारण हैं।