देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी काे अपनी पूरी जमीन का मास्टर प्लान बनाना हाेगा। इसमें एक-एक हिस्से का लैंड यूज तय करना हाेगा। नालंदा व तक्षशिला परिसर के साथ ही बांगड़दा व खंडवा राेड पर जहां भी, जितनी भी जमीन यूनिवर्सिटी की है, उसका भविष्य में क्या उपयाेग हाेगा? क्या प्लानिंग है? यह सबकुछ मास्टर प्लान में बताना हाेगा। साेमवार काे भाेपाल स्थित राजभवन में हुई समीक्षा बैठक में अफसराें ने डीएवीवी सहित प्रदेश की अन्य यूनिवर्सिटी काे इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश दिए। बैठक में यह भी कहा गया कि जाे छात्र जॉब नहीं करना चाहते, उनसे स्टार्टअप आइडिया मांगे जाएं। यह जिम्मेदारी संबंधित टीचिंग विभाग व यूनिवर्सिटी अफसराें की हाेगी। इंक्यूबेशन सेंटर के जरिये इन आइडिया पर काम शुरू करना हाेगा। साथ ही स्टार्टअप शुरू करवाने तक की पूरी प्रक्रिया यूनिवर्सिटी काे गंभीरता से पूरी करना हाेगी और इसका रिकॉर्ड भी मेंटेन करना हाेगा। एक अहम मुद्दा यह भी रहा कि यूनिवर्सिटी के सारे टीचिंग विभागाें की सभी फैकल्टी का कंपलिट प्राेफाइल अब समर्थ पाेर्टल पर अपलाेड करना हाेगा। साथ ही यूनिवर्सिटी काे अब ऑटाेमेशन की तरफ तेजी से आगे बढ़ना हाेगा। खासकर परीक्षा व रिजल्ट पर पायलट प्राेजेक्ट सफल हाेने के बाद उस पर आगे काम शुरू करना हाेगा।? बैठक में यूनिवर्सिटी काे चार महत्वपूर्ण जिम्मेदारी साैंपी गई। यह बात भी सामने आई है कि अगली समीक्षा बैठक से पहले यूनिवर्सिटी को इन पर काम शुरू करना हाेगा। बैठक में कुलपति प्राे. राकेश सिंघई, रजिस्ट्रार डॉ. अजय वर्मा, डीसीडीसी, डॉ. राजीव दीक्षित, परीक्षा नियंत्रक प्राे. अशेष तिवारी, आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. प्रताेष बंसल व आईटी सेंटर इंचार्ज डॉ. आनंद माेरे व अन्य अधिकारी इंदाैर से पहुंचे थे। DAVV को होगा फायदा, क्योंकि थाने, पानी की टंकी काे जगह दे चुकी जमीन का मास्टर प्लान बनने से यूनिवर्सिटी काे बड़ा फायदा हाेगा। क्याेंकि न चाहते हुए भी यूनिवर्सिटी काे खंडवा राेड तक्षशिला परिसर की जमीन अलग-अलग प्राेजेक्ट के लिए देना पड़ी। भंवरकुआं थाना, पानी की टंकी के लिए जमीन दी जा चुकी है। इसके साथ ही बांगड़दा में 25 साल पहले मेडिकल कॉलेज की 25 एकड़ जमीन भी उसे अन्य प्राेजेक्ट के लिए देना पड़ी थी। उसमें साढ़े 12 एकड़ जमीन ही वापस मिल पाई। ऐसे में जानकाराें का कहना है कि यूनिवर्सिटी के लिए भविष्य में मास्टर प्लान मास्टर स्ट्राेक साबित हाेगा। स्कूल ऑफ कॉमर्स के पूर्व हेड डॉ. रमेश मंगल का कहना है कि अन्य विभागाें के प्राेजेक्ट के लिए अब यूनिवर्सिटी की जमीन आसानी से नहीं ली जा सकेगी। अगर ली भी जाएगी ताे उसी दाैरान नई जमीन अलॉट करना हाेगी। मास्टर प्लान की विस्तृत रिपाेर्ट बनेगी, किन विभागाें का विस्तार किया जाएगा बताना होगा यूनिवर्सिटी काे जमीन के मास्टर प्लान की विस्तृत रिपाेर्ट बनाना हाेगी। भविष्य की याेजनाओं काे भी इसमें शामिल करना हाेगा, ताकि लैंड यूज पर स्थिति साफ रहे। यह भी बताना हाेगा कि भविष्य में काैन से टीचिंग विभाग का विस्तार किया जाना है। उसके लिए कितनी जमीन लगेगी? जमीन का वह हिस्सा भी तय करना हाेगा। स्कूल ऑफ एविएशन सहित भविष्य में संभावित नए विभागाें के लिए भी जमीन अलॉट करना हाेगा। कुल मिलाकर जमीन के एक-एक इंच हिस्से और उसके उपयाेग का जिक्र मास्टर प्लान में करना हाेगा। लैब, लाइब्रेरी, कैंटिन, नए टीचिंग विभाग, हाेस्टलाें, नए मूल्यांकन केंद्र, आईटी सेंटर व तमाम अन्य प्राेजेक्ट काे अलॉट हाेने वाली जमीन का भी उल्लेख करना हाेगा। फैकल्टी का प्राेफाइल पाेर्टल पर अपलाेड करना हाेगा यूटीडी की 200 से ज्यादा फैकल्टी(नियमित व सेल्फ फायनेंस) व सभी विजिटिंग फैकल्टी का प्राेफाइल समर्थ पाेर्टल पर अपलाेड करना हाेगा। ताकि भविष्य में नैक के निरीक्षण, एनआईआरएफ रैंकिंग सहित हर फाेरम पर अपडेट जानकारी आसानी से दे सकें। साथ ही फैकल्टी के प्रमाेशन, डीन, बाेर्ड ऑफ स्टडी चैयरमेन, ईसी सदस्य व विभागाध्यक्ष की प्रक्रिया के दाैरान दिक्कत न हाे।