प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े, विशेषज्ञों का एनालिसिस:कचरा- तंदूर-अलाव की आग से हवा में बढ़ा नाइट्रोजन ऑक्साइड, यह ज्यादा खतरनाक

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इस बार एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) पिछले साल की अपेक्षा कम है। लेकिन शाम के समय तंदूर, अलाव और कचरा जलने से शहर की हवा जहरीली हो रही है। अरेरा कॉलोनी और शाहपुरा में तंदूर, अलाव और कचरा जलने से हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड और टीटी नगर में वाहनों की आवाजाही अधिक होने से ग्राउंड लेवल ओजोन की सामान्य से अधिक मिली है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक अरेरा कॉलोनी में नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 74.34 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रिकॉर्ड की गई है, जो कि सामान्य से 85.85% अधिक है। इसी तरह टीटी नगर में ग्राउंड लेवल ओजोन 152.86 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गई है। यह सामान्य से 52.86% अधिक है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक राजधानी में लागातार प्रदूषण बढ़ने की 6 प्रमुख वजहें सामने आई हैं। यह तंदूर-अलाव, कचरा, पराली, जैविक ईधन जलाना और बीएस 4 से नीचे के वाहनों का धुआं हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इनसे हवा में पीएम 2.5 का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। यह सांस लेने में मुश्किल पैदा करने के साथ ही बच्चों-बुजुर्गों के लिए भी खतरनाक है। नाइट्रोजन ऑक्साइड : इसका बढ़ा स्तर श्वसन तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) होती है। ओजोन : श्वसन नलिकाओं में जलन होती है। इसे गले में खराश और छाती में जकड़न होती है। नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन का लंबे समय तक संपर्क फेफड़ों की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया(एजिंग) को तेज कर सकता है।
– डॉ. विकास मिश्रा, एसोसिएट प्रोफेसर, रेस्पिरेटरी डिपार्टमेंट, जीएमसी भोपाल यह है समाधान सर्दियों में हवा के घनत्व के बढ़ने और तापमान के कम होने के कारण प्रदूषण नीचे ही रह जाता है। वह स्मॉग की तरह दिखता है। इस दौरान कोहरे के साथ प्रदूषण और खतरनाक गैसें मिलकर एक खतरनाक मिश्रण बना देती हैं। यह ज्यादा खतरनाक है। -बृजेश शर्मा, रीजनल डायरेक्टर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड