आरी से कद्दू काटकर दिया हंसेंगे तो जिएंगे का संदेश

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हास्याधीश पं. ओम व्यास ओम के 63वें जन्म दिवस को ओम हास्याय नमः संस्था ने ओम जी के ठिए पर अनूठे अंदाज में मनाया। सब्जियों के युवराज हास्य व्यंग्य के प्रतीक कद्दू को मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह और कवि अशोक भाटी ने आरी से काटकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संयोजक स्वामी मुस्कुराके ने हंसेंगे तो जिएंगे के नारे लगवाए। इस अवसर पर नकली फूलों के हार एवं पपीते द्वारा हास्य बुलडोजर अलंकरण कनासिया के कवि राजेंद्र जैन को दिया गया। हंसेंगे तो जिएंगे सम्मान तराना के कवि सुनील गाइड को प्रदान किया गया। अध्यक्षता प्रो. शैलेंद्र पाराशर ने की। बुक्का फाड़ कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए कवि सुरेंद्र सर्किट ने कहा कि मुश्किलों से घबराना नहीं, सर्दियों में नहाना नहीं… फटे में टांग अड़ाना नहीं, जूते पड़े तो बताना नहीं…। कवि सुनील गाइड ने तालियों के मध्य कहा कि जिंदगी को झूम करके देख ले, अच्छी लगे तो चूम करके देख ले.. बातों में तेरी जरा खुशबू नहीं, जिस्म पर परफ्यूम करके देख ले…। राजेंद्र जैन कनासिया ने मालवी बोली की मिठास घोलते हुए गाय और कुत्ते की रोटी पत्नी ने पति को खिलाई… पर रचना प्रस्तुत की। कवि भरत पंड्या ने सब्जियों की पैरोडी सुनाई। कवि विजय गोपी ने गंजों पर मजेदार रचना व समर्थ भावसार, डॉ. विक्रम विवेक ने करारे व्यंग्य सुनाए। आभार फुरसतिया उद्बोधन दिनेश विजयर्गीय ने दिया। स्वागत व्यंग्यकार शशांक दुबे, पीएन शर्मा ने किया। बढ़ लो भाषण संजय व्यास ने दिया। राजेश सिंह कुशवाह ने ओम व्यास को चोटी का चोटी वाला कवि बताते हुए कहा ओम जी असाधारण प्रतिभा के व्यक्तित्व थे। इस अवसर पर प्रफुल्ल शुक्ला सरकार, सुगनचंद जैन, दिनेश रावल, मनोज सुराना, दिनेश अनल, कुमार संभव, राकेश चौहान, श्यामदेव महेश्वरी मौजूद थे। अंत में ओम व्यास जन्मोत्सव के अवसर पर सभी ओम प्रेमियों, काव्य रसिक श्रोताओं का मिष्ठान्न से मुंह मीठा करवाया गया।