शहडोल संभाग के अनूपपुर जिले में खेलते समय एक 5 साल का बच्चा साड़ी में फंस गया, जिससे उसकी सांसे रुक गई। उसके मुंह से झाग और मोशन निकल चुका था। सभी ने उसे मृत मान लिया था। हालांकि बच्चे की मां ने तुरंत उसे सीपीआर देना शुरू किया और मुंह से सांस देकर उसे जिंदा रखा। अस्पताल ले जाने के दौरान भी बच्चे की मां उसे सीपीआर देती रही। बच्चा अब खतरे से बाहर है। उसका इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। घटना 22 नवंबर की अनूपपुर जिले के संजयनगर कॉलोनी की है। 22 नवंबर की दोपहर मंगल कुशवाहा का सबसे छोटा बेटा शिवांश कुशवाहा घर के आंगन में खेल रहा था। आंगन में ही मां की साड़ी सूख रही थी। उसी समय मां पिंकी बच्चे को खेलता देख घर के अंदर भोजन करने चली गई। कुछ देर बाद जब वह बाहर निकली तो देखा कि बेटे के गले में साड़ी का फंदा लगा हुआ है। वह उसी के सहारे जमीन पर सिर लटका कर बैठा हुआ है। मां चिल्लाने लगी जिससे आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और शिवांश (बच्चे) को फंदे से निकालकर जमीन पर सुला दिया। मां बोली-कैसे हुआ मुझे पता नहीं मेडिकल कॉलेज में बच्चे के साथ खेल रही मां पिंकी का कहना है कि शिवांश की हालत देख मैं बहुत डर गई थी। मैं पागलों की तरह चीख रही थी। आंगन में इधर से उधर भागते हुए अपने बेटे के जीवन की भीख मांग रही थी। तभी आंगन में लगी तुलसी के पास खड़े होकर रोते हुए एकाएक मैं वापस अपने बच्चे की तरफ दौड़ी और उसके मुंह से झाग हटाकर मैं उसे सांस देने लगी। उसका शरीर थोड़ा गर्म हुआ, हलचल हुई और वह एकाएक जोर-जोर से रोने लगा। जैसे ही मेरा बेटा रोने लगा वैसे ही मेरी जान में जान आई। ‘मैं तो सीपीआर का मतलब भी नहीं जानती’ शिवांश की मां का कहना है कि मैं तो सीपीआर का मतलब भी नहीं जानती, इसका पूरा क्या नाम है वह भी नहीं पता। बस मोबाइल में देखा था कि सांस नहीं आने पर लोग मुंह में मुंह लगाकर सांस देते हैं तो उसकी सांस लौट आती है। बस यही सोचकर मैंने भी किया और मेरे बेटे का जीवन बच गया। पिता बोले- कोई करिश्मा हुआ है शिवांश के पिता मंगल कुशवाहा फुलकी चाट की दुकान है। उन्होंने बताया कि वह दुकान की तैयारी कर रहे थे, तभी घर में चीख-पुकार मच गई। घर में एकत्रित लोगों ने मेरे बेटे को मरा मान लिया था, लेकिन पत्नी ने जो साहस दिखाया वह किसी करिश्मे से कम नहीं। घटना के तुरंत बाद हम बेटे को कॉलरी के अस्पताल पहुंचे। वहां से उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। रात में मेडिकल आने के बाद उसका इलाज अच्छे से हुआ अब वह बिल्कुल सामान्य है। बच्चे को घटना के बारे में कुछ याद नहीं शिवांश स्कूल नहीं जाता, उसके दो बड़े भाई-बहन स्कूल जाते हैं। घटना के समय भी वो स्कूल में ही थे। इस साल शिवांश का दाखिला स्कूल में होना है। इसलिए वह घर में रहकर खेलता और पढ़ाई करता है। बच्चे का कहना है कि उसे घटना के बारे में कुछ याद नहीं। मां के पूछने पर वह सिर्फ इतना बताता है कि साड़ी को पकड़ कर गोल-गोल घूम रहा था, वह गले में कब फंस गई पता नहीं चला। उसके बाद कुछ याद नहीं।