उत्तर प्रदेश के झांसी के एक अस्पताल में बीते दिनों हुई, यहां 10 बच्चों की मौत हो गई थी। वहीं, हरदा जिला अस्पताल आगजनी की घटना के बाद हरदा जिला अस्पताल आगजनी की घटना से निपटने के लिए कितना तैयार है, यह सोमवार को देखने मिली। अस्पताल में लगे फायर सिस्टम की टेस्टिंग भी लंबे समय से नहीं हुई है। जिला अस्पताल में करीब एक साल पहले करोड़ों रुपए की लागत से भोपाल की किसी कंपनी के द्वारा फायर सेफ्टी सिस्टम के लिए पाइप लाइन लगाई गई है, लेकिन अभी तक उसकी टेस्टिंग नही हो पाई है, जिसके चलते पूरे अस्पताल में पाइप लाइन शो पीस बनकर रह गई है। यहां पर फायर सिस्टम पाइप लाइन का कनेक्शन पानी की टंकी से जोड़ दिया गया है, लेकिन आगजनी होने पर लाइन में पानी आएगा या नही इस बात की टेस्टिंग नही की गई है। क्षमता 20 बेड की, 31 नवजात भर्ती जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में 20 बेड की क्षमता वाला है, जिसमें फिलहाल 31 नवजात एडमिट है। वहां आगजनी की घटना को रोकने सुरक्षा के इंतजाम भगवान भरोसे है। अस्पताल के अधिकांश वार्डों में फायर सेफ्टी सिस्टर की लाइन गई है, लेकिन एसएनसीयू की सुरक्षा भगवान भरोसे नजर आ रही है। यहां सुरक्षा को लेकर वार्ड के दूसरी साइड पर एक दरवाजा बनाया गया है। उधर, जिन लोगों के बच्चे एसएनसीयू वार्ड में एडमिट है, उनका कहना है कि अस्पताल प्रबंधन को झांसी में हुई आगजनी की घटना के बाद जिला अस्पताल में किसी भी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए तत्काल सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करना चाहिए, ताकि आगजनी की घटना होने पर तत्काल काबू पाया जा सके। शाम को होगी टेस्टिंग इस मामले को लेकर सीएमएचओ एवं सिविल सर्जन डॉ एचपी सिंह का कहना है कि फायर सिस्टम लग तो गए है, लेकिन ठेकेदार ने टेस्टिंग नहीं की है। आज वह शाम तक टेस्टिंग करेगा। वहीं, एसएनसीयू में अगल से फायर सेफ्टी की व्यवस्था कराई जा रही है।