वन विभाग ने 6 हजार 5 सौ 92 फारेस्ट गार्ड से 165 करोड़ रुपए की रिकवरी के आदेश फिर से जारी कर दिए हैं। यह आदेश 13 नवंबर की शाम को आया है, जिसने नया विवाद खड़ा कर दिया है। दरअसल, इसी दिन वन मंत्री रामनिवास रावत के चुनाव क्षेत्र विजयपुर और बुधनी में उप चुनाव के लिए वोटिंग हुई है। इस उप चुनाव में विजयपुर से वनमंत्री खुद भाजपा के टिकट पर प्रत्याशी हैं। रिकवरी के आदेश पर वन कर्मचारियों की सहज ही प्रतिक्रिया आ रही है कि रिकवरी पर रोक लगाना विभागीय कर्मचारियों के मोरल सपोर्ट के लिए चुनावी स्टंट था। जिस दिन आचार संहिता लागू हुई, उसी दिन रिकवरी पर रोक लगा दी गई और वोटिंग खत्म होते ही फिर से रिकवरी के आदेश जारी कर दिए गए। वन विभाग ने पहले तो फारेस्ट गार्ड को सैलरी में 165 करोड़ रुपए ज्यादा दिए और अब वसूली की जाएगी। यानी हर फारेस्ट गार्ड को औसतन ढाई लाख रुपए सरकारी खजाने में वापस जमा कराने होंगे। दरअसल, ये स्थिति फारेस्ट गार्ड्स के मूल वेतन (पे बैंड) के गलत गणना (कैल्कुलेशन) से बनी है। भर्ती नियम के मुताबिक पे-बैंड 5200 देना था, लेकिन दिए गए 5680 रुपए। ये गड़बड़ी 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती हुए फारेस्ट गार्ड्स की सैलरी में हुई है। वित्त ने अगस्त में दिए थे निर्देश अगस्त 2024 में वित्त विभाग ने इस गड़बड़ी को पकड़ा और भर्ती नियम के अनुसार वेतन बैंड में सुधार के निर्देश दिए। इस आधार पर 20 सितंबर 2024 को वन विभाग ने मैदानी अधिकारियों को निर्देश दिए कि फारेस्ट गार्ड्स का वेतन वित्त विभाग के निर्देश अनुसार फिर से निर्धारित करें और इस अवधि में दी गई अधिक राशि की रिकवरी करें। जिला वनमंडल अधिकारियों ने कुछ फारेस्ट गार्ड्स को रिकवरी के भी नोटिस थमा दिए थे। चुनाव देखकर लिया निर्णय वन कर्मचारियों का आरोप है कि उप चुनाव और उसमें विभागीय मंत्री के प्रत्याशी होने को देखकर फारेस्ट गार्ड्स से रिकवरी पर रोक का निर्णय लिया गया था। घटनाक्रम को देखें तो कर्मचारियों के आरोप में दम लगती है। 20 सितंबर को फारेस्ट गार्ड्स से वसूली के आदेश जारी हुए थे। 5 अक्टूबर को फारेस्ट गार्ड्स वन बल प्रमुख से मिले। वे बोले-मंत्री से बात हो रही है। 8 अक्टूबर को फारेस्ट गार्ड्स वनमंत्री रामनिवास रावत से मिले। रावत ने कहा-कोई वसूली नहीं होगी। हम 1 जनवरी 2006 से लाभ दिलाएंगे। 15 अक्टूबर को विजयपुर और बुधनी में चुनाव की घोषणा हुई थी। घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई और उसी दिन रिकवरी पर रोक के आदेश जारी हो गए। कर्मचारी बड़े खुश… पर खुशी एक महीने भी नहीं टिकी। 13 नवंबर को विजयपुर और बुधनी में शाम तक वोटिंग हुई और देर शाम वन विभाग ने फिर से वसूली के आदेश जारी कर दिए। डेढ़ से पांच लाख रुपए तक की वसूली इन वनरक्षकों से डेढ़ से 5 लाख रुपए तक की वसूली की जाएगी। साल 2006 से 5680 वेतन बैंड ले रहे वनरक्षकों को 5 लाख रुपए तक सरकारी खजाने में जमा कराने होंगे, जबकि साल 2013 से लाभ लेने वाले वनरक्षकों को डेढ़ लाख रुपए देने होंगे। हर कर्मचारी ने हर महीने वेतन बैंड में 480 रुपए ज्यादा लिए हैं। इस राशि पर 12 प्रतिशत की दर से उन्हें ब्याज भी देना होगा। वेतन की गणना गलत बता रहे अफसर साल 2006 से पहले फारेस्ट गार्ड्स की भर्ती चतुर्थ श्रेणी में वेतन बैंड 2750, ग्रेड-पे 1800 पर होती थी। प्रमोशन पर 3050 वेतन बैंड और 1900 ग्रेड पे दिया जाता था। साल 2006 में प्रदेश में 6वां वेतनमान लागू किया गया। तब फारेस्ट गार्ड्स का वेतन बैंड 5680 और ग्रेड-पे 1900 कर दिया गया। इसी की मांग पुराने फारेस्ट गार्ड्स करते आ रहे हैं। उधर, वित्त विभाग का तर्क है कि वन विभाग ने फारेस्ट गार्ड्स के वेतन की गणना (कैल्कुलेशन) गलत की है। उन्हें फारेस्ट गार्ड्स भर्ती नियम के अनुसार 5200 का वेतन बैंड दिया जाना था। जिला कोषालय अधिकारी भी इसी गणना को मानकर बढ़ा हुआ वेतन जारी करते रहे। 12% ब्याज भी देना होगा फारेस्ट गार्ड्स को 2006 से 2014 तक ली गई अधिक राशि पर 12% की दर से ब्याज भी देना होगा।