प्रदेश में प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का काम धीमी गति से चल रहा है। इसके लिए दो दिन पहले राज्य सरकार ने आयोग के सचिव की नियुक्ति कर दी है पर अभी स्टाफ और दफ्तर का इंतजाम नहीं किया गया है। इसलिए इसके काम में प्रशासनिक तौर पर तेजी नहीं आ पा रही है। दूसरी ओर डेढ़ माह बाद जनगणना की तैयारियां भी शुरू होनी हैं। जिसके लिए केंद्र सरकार की ओर से फाइनल डेट का इंतजार किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने संकेत दिए हैं कि एक जनवरी 2025 के बाद कभी भी जनगणना शुरू हो सकती है और इसके बाद आयोग अपनी रिपोर्ट दे सकता है। लेकिन इस पर अमल जनगणना पूरी होने के बाद ही हो सकेगा। जिलों, संभागों, तहसीलों और जनपदों के पुनर्गठन की कवायद मप्र में इसके पहले वर्ष 1982 में हुई थी। अब 42 साल बाद भौगोलिक से लेकर प्रशासनिक ढांचे में बदलाव के लिए काम शुरू हुआ है। प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के लिए पहली नियुक्ति रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव की हुई है। 9 सितम्बर 2024 को जारी आदेश में श्रीवास्तव को आयोग का सदस्य बनाया गया है। इसके बाद 18 अक्टूबर 2024 को आयोग में रिटायर्ड आईएएस व सचिव स्तर के अधिकारी रहे मुकेश शुक्ला को भी सदस्य नियुक्त किया गया। अब 12 नवम्बर को जारी आदेश में शासन ने जीएडी के अपर सचिव अक्षय कुमार सिंह को सचिव प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है लेकिन स्टाफ और दफ्तर के बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। ऐसे चला आयोग के गठन का सिलसिला 22 अक्टूबर को यह कहा था सीएम ने मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 22 अक्टूबर को कहा था कि राज्य के संभागों, उप-संभागों, जिलों, तहसीलों और विकास खंडों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। जनप्रतिनिधि और आम जनता अपने सुझाव और आवेदन आयोग को संभागों के दौरे के दौरान दे सकेंगे। इन सुझावों की समीक्षा के बाद आयोग अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को सौंपेगा। शहरी क्षेत्रों की सीमाओं के संबंध में भी आयोग को प्रस्ताव सौंपे जा सकेंगे।