भंडारा, मंदिर निर्माण और धर्मशालाओं के नाम पर अपनी स्वार्थ पूर्ति के लक्ष्य को लेकर समाजसेवा और धर्म के नाम पर ठगने वालों की संख्या बहुतायत हो गई है। इसलिए ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए। सारे जगत का पालन करने वाले सारे जगत की सुख-सुविधाओं का ध्यान रखने वाले जगतपति भगवान के नाम पर भीख मांगना भगवान का अपमान है। एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विशेष प्रवचन में यह बात कही। चंदे मांगने वालों का अंत बहुत बुरा महाराजश्री ने कहा कि यदि तुम्हारे मन में भगवान और समाज के लिए, कुछ करने का सच्चा संकल्प है, उसमें कोई स्वार्थ नहीं है तो बिन मांगे ही वह संकल्प पूरा हो जाता है। लेकिन भगवान के नाम पर अपनी घर गृहस्थी चलाने और अपने फायदे के लिए चंदे का जो धंधा करते हैं, उन्हें तात्कालिक लाभ तो हो जाता है, परंतु अंत में ऐसे लोगों की दुर्गति होती है। भगवान के लिए समर्पित भाव से जो सेवा करता है, उसमें कोई स्वार्थ नहीं होता तो उसे कहीं मंदिर निर्माण का बोर्ड लगाने की, रसीद कट्टा छपवाने की जरूरत नहीं पड़ती। भगवान कहीं न कहीं से उसकी इच्छा पूर्ति कर देता है। जिनका स्वार्थ होता है, दिखावे की भक्ति होती है, भगवान के नाम पर अपनी दुकान चलानी होती है, ऐसे लोगों की भीड़ बढ़ गई है। भगवान के नाम पर ठगी करने वालों से बचें डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने कहा जनता को ढोंग-धतूरा बताकर, लोक-लुभावन टोने-टोटके बताकर जनता को ठगने वाले भाड़े के दलाल इनके साथ घूमते रहते हैं। ऐसे लोगों से ठगे जाने पर जनता सच्चे लोगों से भी भय खाने लगती है। इसलिए भगवान के नाम पर ठगी करने वालों से बचें। जो भगवान के लिए करता है, वह मांगता नहीं है, यही उसकी पहचान है। जो स्वेच्छा से कुछ सेवा करता है, वह उसे ही स्वीकार करता है। क्योंकि उसके पास ईश्वर का आशीर्वाद होता है। और ईश्वर के आशीर्वाद से बड़ा कुछ नहीं है।