बालाघाट जिले में रविवार को महिलाओं ने आंवला नवमी पर पूजन किया। महिलाओं ने आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित कर कच्चा दूध, पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा की और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली को 8 बार परिक्रमा करके बांधा। भक्तों ने परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना की। आंवला नवमी को होती है नारायण की पूजा आंवलानवमी का पूजन करने पहुंचीं श्रद्वा फुलसुंघे ने बताया कि आंवले के वृक्ष पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए पूजन करने वाली महिलाएं भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए आंवले के वृक्ष की विधि विधान से पूजा अर्चना करती है। उन्होंने बताया कि आंवले की जड़ में भगवान विष्णु निवास करते हैं, इसी कारण आंवला नवमी को नारायण की पूजा की जाती है। जिसमें परिवार की सुख-समृद्धि और बाधाओं को दूर करने की मनोकामना की जाती है। खासकर संतान और सुख-समृद्धि की कामना से भी यह पूजन किया जाता है। कार्तिक की नवमी तिथि को होती है पूजा प्राचीन कथा अनुसार एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए आईं तो उनकी इच्छा हुई कि भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा एक साथ की जाए। विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय हैं और शंकर जी को बेल पत्र। इन दोनों वृक्षों के सभी गुण आंवले के वृक्ष में मौजूद हैं। इसलिए देवी लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की, ताकि दोनों भगवान प्रसन्न हो जाएं। जिस दिन यह पूजा की गई, उस दिन कार्तिक की नवमी तिथि थी। तभी से हर वर्ष कार्तिक की नवमी को ये पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में विद्यमान रहते हैं। इसलिए आंवला नवमी पर पूजा किया जाता है।