गोपाष्टमी पर्व पर शनिवार को भारत भारती गौशाला में सैंकड़ों गौ श्रद्धालुओं ने गौ माताओं का पूजन किया। इस दौरान गाय की उपेक्षा को लेकर वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने गाय को भारतीय कृषि व्यवस्था की धुरी बताया है। कार्यक्रम में गौ सेवकों का सम्मान किया गया। समारोह में उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गायों की विधिवत आरती कर उन्हें गोग्रास दिया। अतिथियों ने यहां बनी गौशाला में पहुंचकर गौसेवा भी की। भारत भारती गौशाला गौ पालन व जैविक कृषि का प्रशिक्षण केन्द्र है। यहां गौ आधारित कृषि को लेकर अनेक आयामों का प्रशिक्षण दिया जाता है । इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में जनजाति शिक्षा के राष्ट्रीय सह संयोजक बुधपाल सिंह ठाकुर, विद्या भारती के प्रान्त सह संगठन मंत्री अनिल अग्रवाल, जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष एवं भारत भारती शिक्षा समिति के सचिव मोहन नागर, समिति के कोषाध्यक्ष मुकेश खंडेलवाल, नगर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ कैलाश वर्मा, विद्यालय के अभिभावक और उन्नत कृषक श्यामराव बारंगे ने गौशाला की वंशी गाय की पूजा की । समारोह को संबोधित करते हुए भारत भारती के सचिव मोहन नागर ने कहा कि गाय भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था का केन्द्र बिन्दु है । अगर गाय समाप्त हुई तो अनेक जीव श्रृंखलाएं समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भारत जैसे कृषि प्रधान देश जिसमें एक समय गाय को घर का धन माना जाता था, आज गौ वंश उपेक्षित हो रहा है। खेतों में उनके चारे को जला दिया जा रहा है, क्योंकि घरों में गाय है ही नहीं। ये कृत्य जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहा है। वैज्ञानिक रूप से भी देखा जाए तो आहार श्रृंखला का बहुत महत्व है। हमें इसका संरक्षण करना होगा और इसके लिए दोबारा गौ पालन की ओर लौटना होगा। इस अवसर पर डॉ कैलाश वर्मा ने कहा कि गाय आयु, प्राण, ओज, तेज आदि अष्ट सिद्धियों की दाता है। कार्यक्रम में भारत भारती गौशाला के गौ सेवकों, कर्म चारियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय की छात्रा भूमिका बारंगे ने किया। अतिथियों का स्वागत गौशाला प्रभारी फूलचन्द बारस्कर ने किया।