नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम मप्र ने सौंपा ज्ञापन:कहा-2005 के बाद भर्ती कर्मचारियों का क्या कुसूर, क्यों नहीं दी जा रही पारिवारिक पेंशन

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मध्य प्रदेश में साल 2005 या उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों को नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) का लाभ तो दिया जा रहा है, पर कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके आश्रित परिजनों को पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा। यह स्थिति तब है जब भारत सरकार मार्च 2021 में ऐसे परिवारों को पारिवारिक पेंशन देने के आदेश जारी कर चुकी है। मध्य प्रदेश सरकार 3 साल 8 महीने में भी इस आदेश का पालन नहीं कर पाई है। जिसका खामियाजा 4 लाख 59 हजार कर्मचारी और उनके परिजनों को उठाना पड़ रहा है। एनपीएस के दायरे में आने वाले कर्मचारी वैसे ही परेशान हैं। दरअसल, इस स्कीम में उनकी 1500 से 3000 रुपए ही पेंशन बनाई जा रही है। कुछ मामले तो ऐसे भी हैं, जिनमें पेंशन नहीं बनती है। ऐसे में न तो बुढ़ापे का सहारा है और न ही रिटायरमेंट के बाद मृत्यु होने पर आश्रित पत्नी, बच्चों के लिए आर्थिक आमदनी का कोई जरिया। यही कारण है कि कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। क्योंकि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को रिटायर होने के बाद सेवा के अंतिम माह के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती है और मृत्यु होने पर उससे आधी राशि पत्नी को पारिवारिक पेंशन के रूप में मिलती है। 4.59 लाख कर्मचारियों-उनके आश्रितों के साथ धोखा अब पारिवारिक पेंशन को लेकर ‘नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम’ संगठन ने आवाज बुलंद की है। संगठन की भोपाल जिला इकाई ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को ज्ञापन सौंपकर पारिवारिक पेंशन लागू करने की मांग की है। संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि NPS का लाभ ले रहे कर्मचारियों के आश्रितों को पारिवारिक पेंशन देने के आदेश 2021 में ही हो चुके हैं। भारत सरकार ने बाकायदा राजपत्र प्रकाशित किया है। जिस पर मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है, जो 4 लाख 59 हजार कर्मचारियों और उनके आश्रितों के साथ धोखा है। NPS में क्या लाभ नेशनल पेंशन स्कीम साल 2005 में लागू की गई थी। इसमें कर्मचारी के वेतन से 10% राशि काटी जाती है और 14% राशि सरकार मिलाकर NPS फंड में जमा करती है। यह शेयर मार्केट आधारित व्यवस्था है। कर्मचारी के रिटायर होने पर सेवाकाल में जमा हुई कुल राशि की आधी राशि एकमुश्त दे दी जाती है और शेष राशि से पेंशन बनाई जाती है, जो 1500 से 3000 रुपए तक होती है। कुछ प्रकरणों में पेंशन बनती ही नहीं है। जिससे कर्मचारी के रिटायर होने या मृत्यु होने के बाद आश्रितों की इन्कम का स्रोत पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। ये कर्मचारी पीएस से मिले संगठन के भोपाल जिला अध्यक्ष सुरसरि प्रसाद पटेल, माखन सिंह परमार, रामलाल सेन, जयसिंह पटेल सहित अन्य कर्मचारी नेताओं ने पारिवारिक पेंशन न दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए प्रमुख सचिव से भेंट की और ज्ञापन सौंपा है।