बांधवगढ़ टाइगर रेंज में हाथियों की मौत पर चिट्ठी:एनटीसीए को भेजे पत्र में 2022 में पनपथा में हाथी की मौत से लिंक जुड़ने का संदेह

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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई 10 हाथियों की मौत के मामले में 2022 में हुई एक हाथी की मौत से लिंक होने का संदेह जताया जा रहा है। इसको लेकर वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने एनटीसीए के सदस्य सचिव को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की है। एनटीसीए से कहा गया है कि, एमपी में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन नहीं किया गया है और राज्य और जिला टाइगर सेल भी सक्रिय नहीं है। साथ ही कहा है कि उमरिया जिला प्रशासन पेस्टीसाइड विक्रेताओं से उन लोगों का रिकॉर्ड निकाले। जिन्होंने घटनास्थल के पास इतनी बड़ी संख्या में क्यों पेस्टीसाइड खरीदा? वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने NTCA के सदस्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि, पहले भी साल 2022 में यहां एक हाथी का शिकार पनपथा रेंज में हुआ था। जिसकी शिकायत एनटीसीए को की थी और जांच उपरांत कई वनकर्मी आरोपी बने लेकिन 2 बड़े आरोपी आज भी कानूनी कार्रवाई से मुक्त हैं। दुबे ने एनटीसीए के सदस्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि, पनपथा रेंज के आरोपियों में एक एसडीओ फतेह सिंह निनामा आज भी पनपथा अभ्यारण का अधीक्षक हैं। वहीं पूर्व डीएफओ लावित भारती अन्य जगह पदस्थ हैं। इस केस की सही जांच जरूरी है। जिसमें वर्तमान हादसे की जांच में मदद मिलेगी। पेस्टीसाइड बेचने वालों का रिकॉर्ड निकाले उमरिया प्रशासन दुबे के अनुसार निकटवर्ती गांवों में बड़े पैमाने पर जहरीले कीटनाशक पेस्टीसाइड का उपयोग होता है और संभवत इसी का फायदा उठाकर अपराधियों ने हाथियों पर जानलेवा प्रहार किया। उमरिया जिला प्रशासन पेस्टीसाइड विक्रेताओं से उन लोगों का रिकॉर्ड निकाले। जिन्होंने घटनास्थल के पास इतनी बड़ी संख्या में क्यों पेस्टीसाइड खरीदा?। दुबे ने यह भी कहा कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर गौरव चौधरी भी छुट्टियों पर थे और उनका कार्य भार किसको मिला, यह जांच का विषय है। राज्य और जिला टाइगर सेल भी निष्क्रिय एनटीसीए को लिखे पत्र में दुबे ने कहा है कि, मध्यप्रदेश के वन विभाग ने वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 38 यू के अंतर्गत मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी का गठन भी नहीं किया। जिससे वन्य प्राणी संरक्षण में लापरवाही हो रही है। प्रदेश में गोपनीय खबरों के साझा करने के लिए वन विभाग और पुलिस के साथ बनी राज्य स्तरीय और जिला टाइगर सेल भी निष्क्रिय है। जिससे वन अपराधियों में डर नहीं है। स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन नहीं दुर्लभ वन्य प्राणियों बाघों सहित हाथियों के शिकार को रोकने के लिए स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन करने में असफल मध्यप्रदेश सरकार पर सख्ती से जवाब तलब करे जिससे फोर्स का गठन जल्द हो। दुबे ने लिखा है कि इस फोर्स के गठन के लिए वर्ष 2014 से उच्च न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ रहा हूं। इधर सरकार के दावे ऐसे अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि, 29 अक्टूबर की दोपहर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली और पतौर रेंज में 13 हाथियों के झुण्ड में से कुछ हाथियों के बीमार होने की जानकारी मिली। कृष्णमूर्ति ने बताया कि 14 चिकित्सक पोस्टमार्टम और उपचार में शामिल रहे हैं। अब तक क्षेत्र से धान, कोदो, पानी के नमूने लेकर जांच के लिए स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएच) जबलपुर भेजे गए हैं। साक्ष्यों और पोस्टमॉर्टम के आधार पर पशु चिकित्सक की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार हाथियों की मौत का कारण कोदों की विषाक्तता (जहरीला होना) प्रतीत होता है। इसकी तथ्यात्मक पुष्टि केवल फोरेंसिक लैब परीक्षण रिपोर्ट के बाद ही की जा सकेगी। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) नई दिल्ली ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। राज्य शासन ने भी मामले की उचित जांच के लिए एक राज्य स्तरीय जांच समिति का गठन कर दिया है।