पन्ना सहित समूचे बुंदेलखंड में दीपावली पर्व हर्सोल्लास व परंपरागत तरीके से मनाया जाता है। यहां दीपावली के दूसरे दिन दिवारी नृत्य की धूम रहती है। श्रद्धा और आस्था के केंद्र पन्ना के श्री प्राणनाथ जी मंदिर, श्री जुगल किशोर मंदिर में समूचे बुंदेलखंड से ग्वाले विशेष वेशभूषा में मोर पंख लिए पहुंचते हैं। मंदिरों में माथा टेककर ढोलक की थाप पर दिवारी नृत्य करते हैं। यह परंपरा 300 वर्ष से चली आ रही है। दरअसल, पन्ना के श्रीजुगल किशोर जी मंदिर के अलावा शहर के श्रीराम जानकी, श्री बलदाऊ जी मंदिर, श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर व श्री प्राणनाथ जी मंदिर में जाकर ग्वाले दिवारी नृत्य करने पहुंचते हैं। जहां नृत्य के साथ-साथ तरह-तरह के करतब दिखाते हैं। यह अद्भुत नजारा देखने काफी भीड़ उमड़ती है। दीपावली के दूसरे दिन यहां उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से बड़ी संख्या में ग्वालों की टोलियां आती हैं, जबकि मध्य प्रदेश के छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़ आदि जिलों के ग्रामीण इलाकों से ग्वाले यहां आते हैं और यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में नृत्य कर भगवान के दर्शन कर अपने को धन्य समझते हैं। पन्ना सहित पड़ोसी जिलों के ग्रामीण अंचलों से सैकड़ों की संख्या में ग्वालों की टोलियां रात 12 बजे से ही पहुंचने लगती हैं। परिवा की सुबह 5 बजे से भगवान जुगल किशोर जी के दरबार में माथा टेकने के साथ ही दिवारी नृत्य का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो पूरे दिन चलता है।