सरकार की ओर से फसल के लिए 8 घंटे बिजली देने की व्यवस्था पर असंतोष जताते हुए बालाघाट में किसानों ने 24 घंटे बिजली की मांग की है। इस मांग को लेकर मंगलवार को बड़ी संख्या में किसान कलेक्ट्रेट पहुंचे और मुख्यमंत्री से खेती के लिए दिन-रात बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य और सभापति दुलेंद्र ठाकरे, जनपद पंचायत लालबर्रा अध्यक्ष किशोर पालीवाल समेत सैकड़ों किसान मौजूद रहे। जिला पंचायत सदस्य की चेतावनी – उत्पादन में होगी गिरावट जिला पंचायत अध्यक्ष दुलेंद्र ठाकरे ने कहा कि सरकार ने 2015-16 में एक नीति लागू की थी, जिसके तहत किसानों को फीडर से 8 घंटे बिजली मिलती है। उन्होंने कहा कि यह नीति प्रदेश के अन्य जिलों में जहां गेहूं, चना, तुअर और राई की फसल होती है, वहां तो काम कर सकती है, लेकिन बालाघाट जैसे धान उत्पादन वाले जिले में यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने मांग की कि यहां किसानों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए ताकि वे अपनी फसल की सिंचाई कर उसे अच्छी तरह पका सकें। ठाकरे ने कहा कि यदि जिले में 24 घंटे बिजली नहीं दी गई तो जिले का खाद्यान्न उत्पादन घट सकता है, जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असर पड़ेगा। प्रदेश की अन्य जिलों की तुलना में बालाघाट के किसानों की विशेष मांग जनपद उपाध्यक्ष किशोर पालीवाल ने बताया कि बालाघाट की भौगोलिक स्थिति अन्य जिलों से अलग है। यहां पर्याप्त पानी और सिंचाई के साधन मौजूद हैं। जिले में कई किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए कूप और नहरों का उपयोग करते हैं। पालीवाल ने चेतावनी दी कि यदि सरकार 24 घंटे बिजली नहीं देती है, तो रबी की धान की फसल प्रभावित होगी और इसका उत्पादन घटेगा। जिले की जलवायु रबी में गेहूं और चना जैसी फसलों के लिए अनुकूल नहीं है, जिससे किसानों के सामने कठिनाई उत्पन्न हो सकती है।