राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर-संघ चालक डॉ. मोहन भागवत मंगलवार को ग्वालियर पहुंचे। भागवत मथुरा में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। वे यहां केदारधाम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में 31 अक्टूबर (दीपावली) से 3 नवंबर तक विविध संगठन प्रचारक प्रशिक्षण वर्ग में शामिल होंगे। इसमें आरएसएस के 31 अनुषांगिक संगठनों के 554 प्रचारक भाग लेंगे। प्रशिक्षण वर्ग में भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले सहित संघ के सभी सह-सरकार्यवाह और अन्य प्रमुख पदाधिकारी सहभागी होंगे। आरएसएस प्रमुख भागवत ग्वालियर में ही दीपावली पूजन करेंगे। इस चार दिवसीय प्रचारक वर्ग में वे कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं, जो सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं। यह एक प्रशिक्षण वर्ग होगा, जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्र व वर्ग के बीच संघ कार्यों की समीक्षा और आगामी वर्षों के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा होगी। यहां मजदूर, किसानों, विद्यार्थियों तथा सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं ग्रामीण, वनवासी, शहरी क्षेत्र में कार्यों पर चर्चा होगी। 3 से 4 वर्ष में एक बार होता है विविध संगठन प्रचारक वर्ग
उल्लेखनीय है कि यह अखिल भारतीय वर्ग तीन-चार वर्ष में एक बार होता है। वर्ग में स्वाध्याय के साथ समाज जीवन के लिए आवश्यक कार्यों की चर्चा, व्यक्तिगत विकास एवं परस्पर अनुभव साझा किए जाएंगे। सभी अपने-अपने कार्य व अनुभवों का आदान-प्रदान करते हुए विस्तार से चर्चा करेंगे। जिससे संघ से जुड़ने वाले युवा सदस्यों को उनके अनुभव का लाभ मिल सके। यह था सर-संघचालक के आने का रूट
मोहन भागवत मंगलवार को सड़क मार्ग से ग्वालियर पहुंचे। वह 4 नवंबर तक ग्वालियर में रहेंगे। आरएसएस प्रमुख ने मुरैना होते हुए ग्वालियर के निरावली पॉइंट से जिले की सीमा में प्रवेश किया। यहीं से ग्वालियर पुलिस ने उन्हें अपनी सुरक्षा में लिया है। भागवत का काफिला निरावली बाइपास होते हुए बेहटा पुलिस चौकी के सामने हाईवे से झांसी बाइपास होते हुए मेहरा टोल, आईटीएम यूनिवर्स चौराहा, विक्की फैक्ट्री होते हुए शिवपुरी लिंक रोड केदारधाम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर पहुंचा। पंद्रह मिनट पहले रोका ट्रैफिक
सर संघचालक जब मुरैना से ग्वालियर जिले की सीमा पर निरावली पॉइंट पहुंचे, उससे पंद्रह मिनट पहले इस मार्ग का यातायात रोक दिया गया। उनके वहां से गुजरने के कुछ समय बाद ट्रैफिक खोला गया। इसी तरह हर उस मार्ग का यातायात पंद्रह मिनट पहले रोक दिया गया, जहां से उनका काफिला गुजरा।