छत्तीसगढ़ से आए दो नर हाथियों को शहडोल और अनूपपुर से पकड़ कर कान्हा टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बंधक रखने के बाद अब इन्हें हाईकोर्ट की फटकार के बाद छोड़ने की तैयारी है। इन दोनों ही हाथियों को वन विभाग द्वारा एक साथ छोड़ने के बजाय अलग-अलग छोड़ने का फैसला किया गया है, जिसे हाथी के स्वभाव के विपरीत बताते हुए सरकार से एक साथ होम रेंज में छोड़ने की बात कही गई है। वन्यजीव प्रेमी और आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा है कि अलग-अलग छोड़ना हाथियों के साथ अन्याय होगा, क्योंकि ये परिवार के रूप में रहते हैं। इसको लेकर दुबे ने वन महकमे को पत्र भी लिखा है। दुबे ने बताया कि 2 मार्च 2024 को उत्तर शहडोल वन मण्डल से दस साल के एक नर हाथी को पकड़ के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के रामा हाथी कैंप में रखा गया है। 25 साल के दूसरे हाथी को 25 फरवरी 2024 को अनूपपुर वन मण्डल से पकड़ कर किसली हाथी कैंप कान्हा टाइगर रिजर्व में रखा गया है। इनको वापस छोड़े जाने को लेकर जबलपुर हाई कोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका लगाई गई। इस पर कोर्ट द्वारा जानकारी तलब करने पर मध्य प्रदेश वन विभाग ने कोर्ट को बताया है कि वह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रखे एक हाथी को छोड़ देगा और दूसरे हाथी को जंजीरों से बांधने के कारण चोटें आ गई है, उसे ठीक होते ही छोड़ देंगे। दुबे ने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार दूसरे हाथी की चोटें ठीक हो गई हैं। एल्सा फाउंडेशन ने लिखा है पत्र एल्सा फाउंडेशन के संस्थापक प्रकाश ने इसको लेकर लिखे पत्र में कहा है कि वन विभाग द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट से पता चला है कि दोनों हाथियों को अलग-अलग वन क्षेत्र (उसके गृह क्षेत्र से दूर) में छोड़ने की योजना बनाई गई है। वन विभाग की समिति ने लिखा है कि यदि पहले हाथी की रिहाई विफल हो जाती है तो उस हाथी को फिर से पकड़ा कर कैद में रखा जाएगा। एल्सा ने लिखा है कि एक अपरिचित वन क्षेत्र में एक हाथी को छोड़ने के दुखद परिणाम होते हैं। ऐसे छोड़ना हाथी के लिए अत्यधिक क्रूर और दर्दनाक होता है। अफ्रीका में, स्थानांतरण हमेशा संबंधित और संबद्ध हाथियों के बड़े समूहों में किया जाता है। अकेले हाथियों का स्थानांतरण कभी नहीं किया जाता। इनकी ओर से सुझाव दिया गया है कि एक साथ छोड़ने से हाथियों का अस्तित्व और कल्याण होगा। होम रेंज में छोड़ा जाए एल्सा फाउंडेशन ने सुझाव दिया है कि जैसे ही दूसरे हाथी की चोटें ठीक होती है, तब दोनों हाथियों को एक ही समय में एक ही ऑपरेशन में उनकी होम रेंज में छोड़ा जाये। दोनों हाथी पकड़े जाने से पहले एक साथ थे, इसलिए उनका बहुत करीबी संबंध है। उन्हें एक साथ छोड़ने से हाथियों का अस्तित्व और कल्याण होगा। कैद और क्रूर तरीके से बंधक बनाने के कारण सौम्य और दिग्गज वन्यप्राणियों को आजीवन आघात पहुंचता है। रिपोर्ट में हाथियों को इंसानों के बीच रहने का आदी बताया बताया गया कि वन विभाग ने इन हाथियों को छोड़ने के लिए एक समिति बनाई है। समिति की रिपोर्ट के अनुसार ये हाथी इंसानों के आदी हो चुके हैं और जंगल में जीवित नहीं रह सकते। एल्सा फाउंडेशन ने कहा है कि वह इससे सहमत नहीं है क्योंकि ये जंगली हाथी हैं जिन्हें कुछ महीने पहले ही पकड़ा गया था। वन विभाग पर गंभीर आरोप दुबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ से जो भी हाथी मध्य प्रदेश आता है, वन विभाग उसे टाइगर रिजर्व में उपयोग करने के लिए बंधक बना लेता है। दुबे ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है कि जिन दो हाथियों को फरवरी-मार्च में बंधक बनाया गया। उनसे से हर एक से तीन-तीन जनहानि होने का दावा किया गया जबकि दस्तावेज बताते है कि शहडोल और अनूपपुर दोनों को मिलाकर सिर्फ तीन जन हानि हुई थी। इसको लेकर वन विभाग के एसीएस वन विभाग और वन्यप्राणी चीफ को पत्र लिखा गया है।