इंदौर ऐनिमल लिबरेशन ने 56 दुकान परिसर में आयोजित नुक्कड़ नाटक “जानवरों की अदालत” प्रस्तुत किया। इसका उद्देश्य जानवरों पर हर तरफ से हो रहे अत्याचारों के बारे में आम नागरिक को बताना और यह सलाह देना कि जानवरों को एक वस्तु, गाड़ी, मनोरंजन का विषय, दूध की मशीन, खाने की चीज आदि न समझा जाए। जानवरों की खुद की एक चेतना होती है, जिसे अक्सर इंसान नज़र अंदाज़ करते है। नाटक में सभी प्रकार के पीड़ित जानवरों ने इंसानों के कुकर्मों पर केस कर दिया, जिसमें जंगल से बाघ ने बताया कैसे कंपनियों द्वारा विकास किया जा रहा है जंगलों को काट काट कर खेती के लिए, खदानों के लिए, भोगने वाले जानवरों को पाल कर उनका पेट भरने के लिए। मुर्गी ने बताया कैसे पूरी दुनिया में हर साल 72 अरब से ज्यादा मुर्गियों को मारा जा रहा है। गाय और भैंस ने बताया कैसे हर साल लगातार कृत्रिम गर्भाधान से उन्हें बच्चे पैदा करवाए जाते है और बूढ़ा होने पर कुछ को सड़क पर छोड़ दिया जात है। इसमें संस्था से सभी कलाकारों ने छोटी पर अहम भूमिका निभाई, सुरेश व्यास और दुर्गा बलानी के निर्देशन में सभी कलाकार शांतनु जैन, निखिल व्यास, आकांक्षा व्यास, ट्विशा, मुस्कान, पर्व, हर्ष मेहता, दीपाली मेहता, नम्रता जैन, हर्ष वर्धन, सलोनी ने अपने अभिनय से उपस्थित जनता को प्रभावित किया व ध्रुव, अजय, गुलशन जायसवाल, सिद्धार्थ दफारिया ने नुक्कड़ नाटक की शॉर्ट फिल्म की शूटिंग की जिसे एडिटिंग के बाद यूट्यूब के माध्यम से जनता को समर्पित की जाएगी।