बड़वानी जिले में दीपावली पर्व के दौरान हिंगोट युद्ध की कुप्रथा बंद कराने को लेकर मंगलवार सुबह 10 बजे झंडा चौक से कारंजा चौराहे तक जन जागरूकता रैली निकाली गई। इस दौरान आम नागरिक, सामाजिक संगठन, महिलाएं, स्कूली बच्चे और बुजुर्ग भी इस रैली का हिस्सा बने। रैली में बच्चों ने हाथों में अलग-अलग नारों की तख्तियां लेकर हिंगोट का विरोध करते हुए लोगों को जागरूकता का संदेश दिया। पहले भी हिंगोट के विरोध में एमजी रोड के रहवासियों सहित प्रबुद्धजनों ने कलेक्टर और एसपी के नाम ज्ञापन सौंपा था। इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों को भी समस्या से अवगत कराया गया था। हिंगोट के चपटे में आने से पहले भी घायल हो चुके हैं लोग गौरतलब है कि हिंगोट बेहद घातक पटाखा है। इसे जलाकर ऊपर फेंकने पर यह बुलेट की तरह हवा में लहराते हुए जाता है। इसकी गति और विस्फोटक क्षमता इतनी ज्यादा होती है कि इसकी जद में आने वाले इंसान को यह गंभीर चोट पहुंचा सकता है। हिंगोट की वजह से पहले भी जनहानि हो चुकी है। कई लोगों को तो शरीर के अंग गंवाने पड़े हैं। हिंगोट के कारण नगर के एमजी रोड़ पर एक 8 वर्षीय बालक के सिर पर गहरी चोट लगी थी। जिससे उसे तत्काल अस्पताल ले जाना पड़ा था। जांच के बाद पता चला कि बालक के खोपड़ी में हड्डियां क्रेक हुई है और ब्रेन को भी नुकसान पहुंचा है। परिवार को इस बालक के उपचार के लिए इंदौर ले जाना पड़ा था। जहां लाखों रुपए लगने के बाद बड़ी मुश्किल से बच्चे की जान बचाई जा सकी थी। जानिए हिंगोट युद्ध के बारे में हिंगोट एक तरह का फल होता है। इसे कच्चा तोड़कर लाया जाता है। इसके बाद एक ओर से बारीक सुराख करके उसके अंदर का सारा सारा हिस्सा बाहर निकाल दिया जाता है। जब वह अंदर से पूरा खाली हो जाता है। तभी उसमें बारूद और अन्य सामग्री मिलाकर सुराख को बंद कर दिया जाता है। जब इसे चलाया जाता है तो यह तेज रफ्तार से जाती है और जिसे भी लगती है गंभीर रूप से घायल कर देती है। शहर में हर साल हिंगोट के कारण कई लोग गंभीर तौर पर जख्मी हो चुके हैं। वहीं इससे विवाद की स्थिति भी कई बार बनती है। ऐसे में हर साल दीपावली के पहले ही इसके उपयोग पर प्रशासन द्वारा जिलेभर में प्रतिबंध लगाया जाता है।