मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर किस नियम के तहत बीना में अंडा- मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था। हाईकोर्ट ने मामले पर मुख्य सचिव, सागर कलेक्टर और सीएमओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 22 अक्टूबर को होगी। बीना के एक व्यापारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया कि गणेश उत्सव के दौरान करीब 12 से 15 दिनों तक अंडे- मीट के बिक्री पर बैन लगा दिया गया था, जिसके चलते व्यापार प्रभावित हुआ। याचिकाकर्ता ने जब बीना के सीएमओ से नियम पूछा तो कोई जवाब नहीं दिया। लिहाजा मामले ने तूल पकड़ा और अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश के बीना में गणेश उत्सव के दौरान अंडे- मीट की बिक्री पर बैन लगा दिया गया था, जिसके चलते एक व्यापारी वीरेन्द्र अजमानी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के मुख्य सचिव, सागर कलेक्टर और चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने अधिकारियों से पूछा है कि किस नियम के तहत गणेश उत्सव के दौरान बीना में अंडा-मीट की बिक्री प्रतिबंधित की गई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने मामले पर सुनवाई की। बता दें कि बीना के चीफ म्युनिसिपल अधिकारी ने 7 सितंबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया। नोटिफिकेशन में कहा गया कि गणेश उत्सव के दौरान अंडे-मीट को बेचा नहीं जाएगा, साथ ही यह भी कहा गया कि जो भी इस नियम का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बीना सीएमओ के इस आदेश के बाद अंडा और मीट की दुकान बंद रखी गई। नोटिफिकेशन से भड़के वीरेंद्र अजमानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि नगर निगम के नोटिफिकेशन में यह नहीं लिखा है कि किस नियम के तहत यह प्रतिबंध लगाया जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया कि इस तरह का फरमान जारी करना और कहना है कि पालन नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी, यह मूलभूत अधिकारों का हनन है। सुनवाई पर हाईकोर्ट ने संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब मांगा है।