मंगलवार को जमना जैसानी फाउंडेशन के नेतृत्व में हरदा से संदलपुर रेल लाइन जोड़ने को लेकर वाहन रैली निकाली गई। वहीं रेलमंत्री के नाम स्टेशन मास्टर और संयुक्त कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया। शहर के खेड़ीपुरा स्थित नार्मदीय ब्राह्मण समाज धर्मशाला से वाहन रैली की शुरुआत की गई। जिसमें शामिल सभी वर्ग के लोगों ने केंद्र सरकार और रेल मंत्री से हरदा-संदलपुर रेल लाइन जोड़ने को लेकर नारे लगाएं। जमना जैसानी फाउंडेशन के शांति कुमार जैसानी ने बताया कि देश में मेट्रो ट्रेन का लाभ महानगरों को मिल रहा है। लेकिन, आजादी के बाद से लेकर अब तक हरदा-इंदौर रेल लाइन की मांग पूरी नही हो पाई है। चूंकि, हरदा एक कृषि प्रधान जिला है, जिसके चलते यहां का व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि का सीधा संपर्क प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर से है। उन्होंने बताया कि गत 43 सालों पहले शामगढ़ से शुजालपुर-शाजापुर-आष्टा-हरदा रेलवे लाइन स्वीकृत थी। लेकिन वह फाइलों में ही बंद होकर रह गई है। उन्होंने हरदा-संदलपुर रेल लाइन जोड़ने की मांग की जिससे हरदा से इंदौर और राजस्थान रेलवे लाइन के माध्यम से जुड़ सके। शांति कुमार जैसानी ने बताया कि शहर के नागरिकों ने यह मांग और सुझाव रखें है। 1. जबलपुर-इंदौर व्हाया बुदनी रेल लाईन स्वीकृत होकर प्रारम्भ होने वाला है। हरदा जिला मुख्यालय के रेल्वे स्टेशन से मात्र 30 किलोमीटर दूर संदलपुर से होकर यह रेल लाईन निकल रही है। जानकारी के अनुसार लगभग 220 किलोमीटर की इस बुदनी-इंदौर रेल लाईन के लिए 3201 करोड़ रुपए स्वीकृत कर 1080 करोड़ रुपए का आवंटन हो चुका है। उन्हाेंने बताया कि हरदा-संदलपुर रेल लाईन बनाने में सिर्फ लगभग 400 करोड़ रुपए का खर्च आना है। इसलिए, हरदा से संदलपुर रेल्वे लाईन स्वीकृत कर इंदौर से जोड़ा जाए, जिससे हरदा सहित अन्य आस-पास के जिले और तहसीलों को फायदा होगा। 2. हरदा स्टेशन बहुत पुराना है। यह सीधा कोलकाता, हैदाराबाद, मुंबई, नागपुर, सोमनाथ आदि से जुड़ा हुआ है। केवल इंदौर से सीधा सम्पर्क नहीं है। 3. बुदनी-इंदौर व्हाया संदलपुर के बीच 14 बड़े पुल और पुलिया आते हैं। जबकि, संदलपुर मैदानी इलाका है, इसमें केवल नर्मदा नदी पर एक ही पुल बनाना पड़ेगा। 4. हरदा शहर के आस-पास तहसील के अधिवक्ताओं को हाईकोर्ट इंदौर आना-जाना पड़ता है, रेल्वे लाईन जुड़ने से उनके समय में बचत होगी। 5.इंदौर शहर में बड़े हॉस्पिटल और उत्तम चिकित्सा व्यवस्था होने से हरदा में मरीजों को चिकित्सा सुविधा के लिए प्रति सप्ताह इंदौर जाना पड़ता है। सड़क परिवहन में समय अधिक लगता है।रेल्वे लाईन होने से मरीजों के समय की बचत होगी।