‘पीएम मोदी की हत्या’ वाले बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजा पटेरिया को बरी कर दिया गया। फैसला मंगलवार को ग्वालियर में एमपी एमएलए विशेष न्यायाधीश धीरेंद्र सिंह परिहार ने सुनाया। बड़ी बात यह रही कि जिन लोगों ने थाने में शिकायत की, सभी गवाह कोर्ट में मुकर गए। दैनिक भास्कर ने मामले में राजा पटेरिया के वकील संजय शर्मा से बात की। समझा कि वीडियो सामने आने के बाद किन तर्कों के आधार पर राजा पटेरिया को दोषमुक्त कर दिया गया। पहले वो बयान, जिस पर बवाल हुआ … 11 दिसंबर 2022। पन्ना जिले के पवई में पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस में दोपहर 12 से 2 बजे तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक थी। यहां राजा पटेरिया संबोधित करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा- ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खत्म कर देगा। मोदी धर्म, जाति, भाषा के आधार पर लोगों को बांट देगा। दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों का जीवन खतरे में है। अगर संविधान को बचाना है, तो मोदी की हत्या के लिए तैयार रहो।’ ढाई महीने जेल में भी रहे दिसंबर 2022 में पीडब्ल्यूडी इंजीनियर संजय कुमार खरे रेस्ट हाउस के इंचार्ज थे। 12 दिसंबर को पवई थाने इन्होंने ही राजा पटेरिया के खिलाफ केस दर्ज कराया। 13 दिसंबर 2022 को राजा पटेरिया को गिरफ्तार किया गया। उन्हें जेल भेज दिया गया। दो महीने 18 दिन जेल में रहे। इसके बाद जमानत मिल गई। प्रकरण में 10 गवाह थे संजय कुमार खरे, PWD इंजीनियर 2. रणधीर सिंह, टाइम कीपर पीडब्ल्यूडी 3. रामबिहारी सेन चपरासी पीडब्ल्यूडी कर्मचारी 4. दीपेंद्र सिंह परिहार, भाजपा जिला महामंत्री, 5. चंद्रभूषण गौतम, किसान मोर्चा ब्लाॅक अध्यक्ष भाजपा 6. शैलेन्द्र कुमार चौबे, युवा मोर्चा कल्दा मंडल अध्यक्ष 7. सत्यपाल सिंह, भाजपा सदस्य, 8. बद्री पटेल, भाजपा सदस्य 9. धर्मेंद्र कुमार सिंह, विवेचक 10. सुनील पारीक आदि थे। अब पढ़िए, कोर्ट में किसने क्या कहा – संजय कुमार खरे (तत्कालीन रेस्ट हाउस इंचार्ज, फरियादी) :‘11 दिसंबर को मुख्यालय से बाहर था। रात में टाइम कीपर रणधीर सिंह ने फोन कर घटना की जानकारी दी। इसी के आधार पर 12 दिसंबर को सुबह पवई थाने में राजा पटेरिया के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई। खुद मौके पर मौजूद नहीं थे।’ दीपेंद्र सिंह परिहार ( भाजपा जिला महामंत्री, प्रत्यक्षदर्शी): ‘वायरल वीडियो के बारे में कोई जानकारी नहीं है।’ चंद्रभूषण गौतम को भी पहचानने से इंकार कर दिया। न तो पवई के किसी वॉटसऐप ग्रुप से जुड़ा और ना ही वायरल वीडियो देखा है।’ रणधीर सिंह (टाइम कीपर, प्रत्यक्षदर्शी): ‘इस दिन मेरी ड्यूटी पवई से हडा कोठी मार्ग पर थी। मेरे सामने ऐसी कोई घटना नहीं हुई। वीडियो के बारे में भी जानकारी नहीं है।’ इसी तरह अन्य गवाह भी मुकर गए। तर्क- एआई से तैयार हो रहे वीडियो राजा पटेरिया के वकील संजय शर्मा ने बताया, ‘12 दिसंबर 2022 को पवई पुलिस ने पूर्व मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और 13 दिसंबर को उन्हें गिरफ्तार किया गया। एफआईआर में बताया गया कि नगर परिषद पवई नाम के सोशल मीडिया ग्रुप में वीडियो शेयर किया गया था। हालांकि, अभियोजन ये साबित नहीं कर पाया कि उक्त ग्रुप से वीडियो किस व्यक्ति ने उन्हें पेन ड्राइव में दिया।’ थाना प्रभारी धर्मेंद्र कुमार सिंह ने भी स्वीकार किया कि वीडियो की इलेक्ट्रॉनिक विशेषज्ञ से विश्वसनीयता, टेम्परिंग व डबिंग आदि की जांच नहीं कराई। इसी के आधार पर न्यायालय को बताया गया कि एआई टूल का उपयोग कर फर्जी वीडियो तैयार किए जा रहे हैं। इस तर्क पर कोर्ट ने सहमति जताते हुए वीडियो को संदिग्ध माना।’ काेर्ट ने कहा- पुलिस ने वीडियो की जांच तक नहीं कराई कोर्ट ने आदेश में कहा- ‘प्रकरण के किसी भी चक्षुदर्शी गवाह (जो घटना के समय मौजूद हो) ने यह नहीं कहा कि पूर्व मंत्री ने 11 दिसंबर 2022 को पवई स्थित विश्राम गृह में दोपहर 12 से 2 बजे के बीच में प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी की। पुलिस ने संदिग्ध वीडियो की जांच तक नहीं कराई।’ पटेरिया बोले- वीडियो गलत तरीके से पेश किया गया फैसले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजा पटेरिया ने कहा, ‘मैं गांधी को मानने वाला हूं। मैं किसी की हत्या की बात नहीं कर सका। वीडियो को गलत तरीके से पेश किया गया है। मेरे कहने का आशय था कि राजनैतिक चुनाव क्षेत्र में उनको आदिवासियों और संविधान की रक्षा करो। इसके लिए मोदी को पराजित करना जरूरी है। मेरा उद्देश्य गलत नहीं था। अब सच्चाई की जीत हुई है। मुझे फंसाने का प्रयास असफल रहा है।’ इंदौर में विधायक आकाश विजयवर्गीय भी बल्लाकांड में हो चुके हैं बरी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और पूर्व बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय को एमपी-एमएलए कोर्ट ने बरी कर दिया। 5 साल पहले विधायक रहते आकाश विजयवर्गीय पर नगर निगम के अधिकारियों को क्रिकेट के बल्ले से पीटने का आरोप लगा था। आकाश के साथ ही आरोपी बनाए गए 10 अन्य लोगों को भी कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश देव कुमार ने एक महीने फैसला सुनाया था। साक्ष्यों के अभाव और फरियादी के बयान बदलने को आधार बनाकर आकाश विजयवर्गीय को दोषमुक्त कर दिया। पढ़ें पूरी खबर