प्रदेश के महानगरीय कैटेगरी वाले शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, रीवा, उज्जैन में अब पांच साल के भीतर सभी ओवरहेड विद्युत लाइन को अंडरग्राउंड विद्युत लाइन में बदला जाएगा। विद्युत नियामक आयोग ने इसके नियम बनाकर ऊर्जा विभाग और तीनों ही विद्युत वितरण कंपनियों से इसका पालन करने के लिए कहा है। इसके अलावा प्रदेश के अन्य शहरी इलाकों और घनी बस्तियों, धार्मिक व पर्यटन स्थलों के आस-पास भी अंडरग्राउंड केबल डालकर बिजली सप्लाई की जाएगी। विद्युत नियामक आयोग द्वारा इसका प्रावधान मध्यप्रदेश विद्युत वितरण संहिता (पुनरीक्षण प्रथम) 2024 में किया गया है। इसके लिए बनाए गए नियमों में कहा गया है कि महानगरीय इलाकों में नए कार्यों के लिए अंडरग्राउंड केबल का ही प्रयोग अब किया जाएगा। वर्तमान ओवरहेड लाइन को एक-एक करके अंडरग्राउंड केबल से बदलने की योजना तैयार की जाएगी। इसका कार्यकाल विद्युत संहिता की अधिसूचना की तारीख से पांच साल से अधिक नहीं होगा। इसके बाद का समय विद्युत नियामक आयोग की सहमति के बाद ही बढ़ेगा। इसके लिए आयोग ने जो व्यवस्था तय की है उसके अनुसार सबसे पहले उन फीडर को अंडरग्राउंड केबल से जोड़ा जाएगा जो अधिक राजस्व उपलब्ध करा रहे हैं। चोरी वाले एरिया में नए पायल प्रोजेक्ट के जरिये यह काम किए जा सकते हैं। पर्यटन, धार्मिक स्थल और आपदा संभावित क्षेत्रों में भी अंडरग्राउंड केबल डलेगी आयोग द्वारा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी, पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के लिए बनाए गए नियमों में कहा गया है कि शहरी इलाकों में या घनी बस्तियों में तथा पर्यटन और धार्मिक स्थलों के आसपास आने वाले सालों में भूमिगत केबल को प्राथमिकता दी जाएगी। जहां आपदा संभावित क्षेत्र हैं वहां भी भूमिगत केबल का उपयोग किया जाएगा। नियामक आयोग ने कहा है कि ऐसी लाइन में फाल्ट आने पर मरम्मत में समय अधिक लगता है, ऐसी स्थिति में भूमिगत केबल सिस्टम की व्यवस्था ऐसी हो कि फीडिंग के लिए रिंग मेन यूनिट्स के माध्यम से समीपी सर्किट में बिजली प्रदाय की जा सके। सब स्टेशन लोड सेंटर के आस-पास हों विद्युत नियामक आयोग द्वारा इस संहिता के अंतर्गत बनाए गए नियमों में कहा गया है कि सब स्टेशन यथासंभव लोड सेंटर के आसपास होने चाहिए। सब स्टेशन की ट्रांसफार्मेशन कैपिसिटी तथा फीडिंग लाइन कैपिसिटी ऐसी रखी जाएगी कि किसी भी फीडर या हाई कैपिसिटी ट्रांसफार्मर के बंद हो जाने पर भी सिस्टम में बिजली की डिमांड पूरी की जा सके। सप्लाई बाधित हो तो वैकल्पिक व्यवस्था रखें बिजली उपकरणों या लाइन के किसी पार्ट में सप्लाई बाधित होने की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था मौजूद होना अनिवार्य किया गया है। सब स्टेशन ऐसे हों कि किसी भी तरह की अग्नि दुर्घटना के मामले में तत्काल आपात स्थिति में उपकरण से या अन्य माध्यम से उसे रोका जा सके और उसका फैलाव अन्य स्थानों पर नहीं हो। यह भी प्रावधान किए गए एवरेज लोड से अधिक सप्लाई तो बढ़ानी होगा ट्रांसफार्मर कैपिसिटी नियामक आयोग के नियमों में कहा गया है कि शहरी इलाकों में वितरण ट्रांसफार्मर में रेटेड कैपिसिटी के 65 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक एवरेज लोड होना चाहिए और जब इसका लोड 80 प्रतिशत से अधिक हो जाए तो इसका आकार बढ़ाने का काम करना होगा। ग्रामीण इलाकों में पीक लोड के समय भी इसकी व्यवस्था पर काम करना होगा। 15 साल के लोड का आकलन कर लगाएं कंडक्टर नियमों में यह भी कहा गया है कि आगामी 15 सालों के लिए संभावित लोड का आकलन कर 33 केवी, 11 केवी तथा एलटी लाइन में स्टैंडर्ड कंडक्टर साइज का उपयोग करना होगा। ओवरहेड लाइन या अंडरग्राउंड केबल का चयन मैदानी परिस्थितियों की जरूरतों तथा वित्तीय व्यवस्था के आधार पर किया जाएगा। जहां चोरी की संभावना है ऐसे इलाकों में एबीसी केबल, कवर्ड कंडक्टर या फिर भूमिगत केबल की स्थापना की जाएगी।