उज्जैन में शिप्रा के घाटों पर गंदगी पसरी:महाराष्ट्र से उज्जैन पहुंचे संतों ने जताई नाराजगी, बोले- महाकाल की नगरी को पावन रखें

Uncategorized

धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित मोक्षदायिनी मां शिप्रा नदी की सफाई व्यवस्था को लेकर एक बार फिर से सवाल उठने लगे हैं। शनिवार को जूना अखाड़े से जुड़े संतों का एक दल जब शिप्रा में स्नान के लिए घाट पर पहुंचा, तो वहां फैली गंदगी देखकर संतगण अचंभित हो गए। उन्होंने न केवल शिप्रा की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई बल्कि शासन-प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए साफ-सफाई की मांग की। जूना अखाड़े के महंत उमेश भारती नागा बाबा ने कहा कि उज्जैन, जिसे पवित्र अवंतिका पुरी कहा जाता है, वहां की पावन शिप्रा नदी में स्नान करने के दौरान उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि नदी अब अपनी पवित्रता खोती जा रही है। गंदगी और कूड़ा-कचरा हर ओर फैला हुआ है, जिससे संतों और श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि शिप्रा नदी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, लेकिन जिस प्रकार से नदी में गंदगी फैलाई जा रही है, वह बेहद चिंताजनक है। महंत उमेश भारती ने कहा, “हमारी प्रार्थना है कि शासन और प्रशासन उज्जैन को उसकी पावनता लौटाने के लिए गंभीरता से कदम उठाए।” 2025 में कुंभ से पहले सफाई की अपील संतों ने प्रशासन से अपील की है कि वर्ष 2025 में प्रयागराज में कुंभ का बड़ा आयोजन होने जा रहा है, जिसमें विभिन्न अखाड़ों के संत उज्जैन होते हुए प्रयागराज पहुंचेंगे। संत यहां शिप्रा में स्नान भी करेंगे, इसलिए यह आवश्यक है कि तब तक शिप्रा नदी को पूरी तरह साफ-सुथरा कर दिया जाए। महंत ने कहा, “यदि शिप्रा नदी में गंदगी बनी रही, तो संतों और श्रद्धालुओं की भावनाएं और अधिक आहत होंगी। उज्जैन की पवित्रता बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है और हमें उम्मीद है कि वे जल्द ही इस दिशा में उचित कदम उठाएंगे। नगर निगम का दावा— सफाई जारी है इस बीच, नगर निगम उज्जैन के उपायुक्त संजेश गुप्ता ने सफाई को लेकर संतों और श्रद्धालुओं की चिंताओं को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम की ओर से घाटों की सफाई के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि घाटों की सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है और निगम के कर्मचारी नियमित रूप से सफाई कार्य में जुटे रहते हैं। उन्होंने कहा, “अब तक करीब 14 मैजिक ट्रक भरकर कचरा शिप्रा नदी से निकाला जा चुका है। पर्वों और त्योहारों के दौरान श्रद्धालु बड़ी मात्रा में पूजन सामग्री और अन्य सामान शिप्रा में डालते हैं, जिससे गंदगी बढ़ जाती है।”