एमपी बस ऑनर्स एसोसिएशन ने लोकायुक्त में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के विरुद्ध व्यापक कार्रवाई मांग करते हुए एक पत्र लिखा है। पत्र में आरटीओ कार्यालय भोपाल को रिश्वत के जाल से मुक्त कराए जाने की बात की है। पत्र में लिखा गया है कि कि लगभग 13 साल से लोकायुक्त द्वारा परिवहन कार्यालय भोपाल के विरुद्ध कोई भी व्यापक कार्रवाई नहीं की गई है, इस कारण भोपाल आरटीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पार कर चुका है। एसोसिएशन द्वारा निवेदन किया गया है कि कार्यालय से कोई ऐसी टीम का गठन किया जाए जो इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई व्यापक कार्यवाही कर सके।
साथ ही कार्यालय से कोई हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाने की कृपा करें जिससे भ्रष्टाचार से तंग आकर आम जनता उस पर फोन कर मदद प्राप्त कर सके। इस तरह के हेल्पलाइन नंबर अगर जारी किए जाते हैं तो पोस्टर इत्यादि द्वारा उसको प्रचारित तथा प्रसारित करने की जिम्मेदारी हमारा संगठन उठाने के लिए तैयार है। यह है मामला
भोपाल के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में सारा कामकाज ऑनलाइन और कैशलेस हो चुका है। यहां कैश पेमेंट की जरूरत ही नहीं है, लेकिन दैनिक भास्कर को मिले दो वीडियो में एवजी (एक्सटर्नल वेजवर्कर्स) आरटीओ दफ्तर में ही पैसे लेते नजर आ रहे हैं। दावा तो घूस लेने का भी है। एवजी को कटर के नाम से भी जाना जाता है। साफ कहें तो यह किराए के कर्मचारी होते हैं यानी ऐसे लोग जिन्हें सरकार नियुक्त नहीं करती, आरटीओ के कर्मचारी-अधिकारी इन्हें अपना काम करने के लिए रख लेते हैं। ये नियम के खिलाफ भी है। पढ़ें पूरी खबर इधर, लाइसेंस आवेदक परेशान
इधर, स्मार्ट चिप कर्मचारियों का करार परिवहन विभाग के साथ खत्म हो गया है, जिसके चलते मंगलवार को आरटीओ कार्यालय में आवेदकों की लंबी लंबी लाइनें लगी नजर आईं, आवेदक यहां पर लाइसेंस की फोटो खिंचवाने के लिए परेशान नजर आए। बता दें कि लंबे समय से स्मार्ट चिप कंपनी परिवहन विभाग के साथ काम कर रही थी, स्मार्ट चिप के कर्मचारी कर्मचारी आरटीओ कार्यालय भोपाल विभाग के कई तरह के काम देखते हैं, इसमें लाइसेंस के लिए फोटो खिंचना, कार्ड प्रिंटिंग आदि शामिल हैं। आरटीओ जितेंद्र शर्मा का कहना है कि शासन के आदेशानुसार काम किया जाएगा, ऑप्शनल व्यवस्था बनाई जा रही है। बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल स्मार्ट चिप कंपनी के 428 कर्मचारी है। यह अलग अलग आरटीओ में कार्यरत हैं।