एमपी के 35वें मुख्य सचिव होंगे राजेश राजौरा:मुख्यमंत्री ने दी सहमति, आज ही जारी होंगे ऑर्डर; पहले से तय था पद मिलना

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1990 बैच के आईएएस अफसर डॉ. राजेश राजौरा का मध्यप्रदेश का अगला मुख्य सचिव बनना तय हो गया है। आज ही इसका आदेश जारी हो जाएगा। मौजूदा मुख्य सचिव वीरा राणा का सर्विस एक्सटेंशन 30 सितंबर यानी आज खत्म हो रहा है। राजौरा प्रदेश के 35वें मुख्य सचिव होंगे। उन्हें चार सीनियर अफसरों को सुपर सीड कर मुख्य सचिव बनाया जा रहा है। इसके पीछे की वजह राजौरा का हर सरकार में एक्टिव अफसर की भूमिका में रहना है। डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बने तो धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर हटाने के पहले आदेश का प्रस्ताव राजौरा ने ही तैयार किया था। उन्होंने शिवराज सरकार के दौरान भावांतर योजना का ड्राफ्ट तैयार किया था। एमपी को सात बार कृषि कर्मण अवॉर्ड मिले, इनमें से 4 डॉ. राजौरा के कृषि विभाग में रहते हुए ही मिले। जब कमलनाथ सरकार सत्ता में आई तो किसान कर्ज माफी की पूरी कार्ययोजना तैयार कर पहला आदेश उन्होंने ही जारी करवाया था। पढ़िए, सीएम डॉ. मोहन यादव के राजौरा पर भरोसे की वजह… मुख्य सचिव के लिए डॉ. राजौरा पहली पसंद क्यों लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के एक हफ्ते बाद ही डॉ. राजौरा की मुख्यमंत्री कार्यालय में बतौर अपर मुख्य सचिव नियुक्ति की गई थी। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद से ही संकेत मिल गए थे कि वे ही सूबे के अगले मुख्य सचिव होंगे। जिस किसी अफसर को मुख्य सचिव बनाया जाता है, उसकी मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी के रूप में नियुक्ति की परंपरा है। मुख्यमंत्री कार्यालय में इन तीन महीनों में डॉ. राजौरा और सीएम के बीच प्रशासनिक तालमेल भी बेहतर नजर आया। मुख्यमंत्री ने जब अपर मुख्य सचिवों के बीच संभागों का बंटवारा किया, तब डॉ. राजौरा को उज्जैन संभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। उज्जैन में 2028 में सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होना है। सरकार ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। 24 साल पहले साल 2004 में जब सिंहस्थ मेले का आयोजन हुआ था, तब डॉ. राजौरा उज्जैन के कलेक्टर थे। वे मुख्य सचिव कार्यालय के साथ नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, नर्मदा घाटी विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव, एनबीपीसीएल के प्रबंध संचालक और जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव (अतिरिक्त प्रभार) का दायित्व भी निभा रहे थे। 4 अफसरों को सुपरसीड करेंगे डॉ. राजौरा को यह पद उनसे सीनियर चार अफसरों को सुपरसीड कर बनाया जा रहा है। इनमें से एक 1989 बैच के अनुराग जैन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में पदस्थ हैं जबकि एमपी में पदस्थ 1989 बैच के कृषि उत्पादन आयुक्त मोहम्मद सुलेमान, प्रशासन अकादमी के डीजी जेएन कंसोटिया और ट्राइबल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (टीआरआई) के डायरेक्टर विनोद कुमार भी इसी सूची में हैं। डॉ. राजौरा ने मोहन सरकार की पहली कैबिनेट के 2 फैसलों का प्रस्ताव तैयार किया 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद डॉ. मोहन यादव ने इसी दिन शाम को कैबिनेट की पहली बैठक की थी। इसमें उन्होंने नियम-कायदे के दायरे में ही धार्मिक और अन्य स्थलों पर लाउड स्पीकर बजाने के आदेश दिए थे। खुले में मांस-मछली बेचने वालों और इनकी अवैध दुकानों पर भी एक्शन लेने को कहा था। कैबिनेट बैठक के तुरंत बाद गृह विभाग ने लाउड स्पीकर/डीजे के इस्तेमाल को लेकर आदेश जारी किया था। उस समय गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा थे। इस आदेश के मुताबिक, किसी भी धार्मिक स्थल या अन्य स्थानों पर तय मापदंड के अनुसार ही लाउड स्पीकर/डीजे का इस्तेमाल किया जा सकेगा। 72 घंटे में तैयार कराया था पुलिस कमिश्नर सिस्टम का ड्राफ्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 नवंबर 2021 को भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की घोषणा की थी। तब अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजौरा थे। इसके अगले दिन 22 नवंबर को पुलिस मुख्यालय ने ड्राफ्ट तैयार कर गृह विभाग को भेज दिया था। 23 नवंबर 2021 को देर रात करीब दो बजे तक पुलिस और गृह विभाग के अधिकारी ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने में जुटे रहे। 24 नवंबर को सुबह इस ड्राफ्ट को विधि विभाग भेजा गया लेकिन कुछ पॉइंट्स पर गृह विभाग से जानकारी मांगी गई। इसके बाद 24 नवंबर की शाम एक बार फिर ड्राफ्ट को विधि विभाग को भेजा गया। 25 नवंबर 2021 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी। कमलनाथ से किसानों की कर्जमाफी की फाइल पर कराए थे दस्तखत 2018 में जब कांग्रेस सरकार मध्यप्रदेश की सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेने के बाद किसानों की कर्ज माफी की फाइल पर दस्तखत किए थे। यह कार्यक्रम भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित किया गया था। तब डॉ. राजेश राजौरा कृषि विभाग के प्रमुख सचिव थे। उन्होंने इस योजना का ड्राफ्ट 24 घंटे में तैयार किया था और कार्यक्रम के दौरान मंच पर पहुंचकर मुख्यमंत्री को सौंपा था। देर शाम तक योजना लागू किए जाने का आदेश भी जारी हो गया था। दरअसल, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि यदि प्रदेश में उसकी सरकार बनी तो 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा।