पीएम ने डिंडौरी की महिलाओं के काम को सराहा:मन की बात कार्यक्रम में बोले- आदिवासी जिले की महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

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रविवार को मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिंडौरी जिले के रायपुरा गांव के शारदा स्व सहायता समूह के महिलाओं के काम की तारीफ की। महिलाएं तालाब में मछली पालन कर आत्म निर्भर बन रही है। जब स्व सहायता समूह की महिलाओं ने ये बात सुनी तो, वह बेहद खुश नजर आई। उन्होंने इस सपने को शासन की योजनाओं के दम पर साकार होना बताया। पहले करते थे मजदूरी शारदा स्व सहायता समूह की सचिव सुमनवती धूमकेटी ने बताया कि 2014 के पहले हम लोग घर में चूल्हा बर्तन का काम करते थे। परिवार में पैसे की कमी न हो, इसलिए दूसरे के यहां दिन भर मजदूरी भी करते थे। जो पैसा मिलता उसको घर में लेकर जाते थे। लेकिन, 2009 में हमारे गांव मध्यप्रदेश आजीविका मिशन के कुछ अधिकारी आए और फिर उन्होंने महिलाओं के समूह का गठन कर कुछ काम शुरू करने का सुझाव दिया। फिर हमने मिलकर शारदा स्व सहायता समूह का गठन किया। शारदा धुर्वे को अध्यक्ष बनाया और मुझे सचिव के पद की जिम्मेदारी दी। इसी प्रकार महावती, कोतमा बाई, शंकरवती, फूलवती, सोमवती, नान बाई, अवंती मरावी, समशुन और निशा को सदस्य बनाया गया। 2014 में शुरू किया मछली पालन मछली निरीक्षक विशाल शरणागत ने बताया कि 2014 में रायपुरा जलाशय को शारदा स्व सहायता समूह को दस वर्ष के पट्टे पर देकर लगभग 32 हजार रुपए की लागत से जलाशय में एक लाख फिंगर लिंग डलवाए गए। इसके बाद महिलाओं ने गांव-गांव और बाजार में जाकर मछली बेचना शुरू कर दिया। अध्यक्ष शारदा धुर्वे ने बताया कि मछली बेचने से हमें ज्यादा मुनाफा होने लगा। लगभग दिन भर में समूह की महिलाएं तीन से चार हजार रुपए की मछली बेच देते है। 26 जनवरी 2024 को तत्कालीन कलेक्टर विकास मिश्रा ने मछली विभाग के बगल में ही दीदी स्मार्ट फिश पार्लर की शुरुआत करवा दी। अब हमें कही नहीं जाना पड़ता। फिश पार्लर से ही मछली बिक जाती है।लगभग तीन से चार हजार रुपए की मछली बेच देती है। यहां पर तीन महिलाओं की ड्यूटी रहती है। बाकी महिलाएं गांव में तालाब से मछली पकड़ने और यहां तक पहुंचाने का काम करती है। जितना मुनाफा होता है उसे आपस में समूह की महिलाएं बाट लेती है। इससे अब हम आत्म निर्भर बन चुके है। घर चलाने में अब अपने पतियों का साथ दे रहे है।