बासमती के अलावा देश में पैदा होने वाले दूसरे प्रकार के सफेद चावल को अब दूसरे देशों में एक्सपोर्ट किया जाएगा। चावल उत्पादक किसानों की मांग पर केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने ये फैसला लिया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी जानकारी दी है। शिवराज ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक और किसान हितैषी फैसला लिया है। गैर-बासमती चावल के निर्यात को खोलने और न्यूनतम निर्यात मूल्य के मूल्य निर्धारण को मंजूरी मिली है। गैर-बासमती सफेद चावल के लिए 490 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया गया है। परबॉइल्ड और ब्राउन चावल पर शुल्क 20% से घटकर 10% हो गया है। चावल उत्पादक किसान अब न्यूनतम निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर ही अपनी उपज निर्यात कर सकेंगे। शिवराज ने तुअर, उड़द मसूर की 100% खरीद का आश्वासन दिया
शिवराज ने बताया कि बासमती चावल पर भी मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस समाप्त करने का निर्णय लिया गया, जिससे बासमती चावल के उत्पादक किसान इनका निर्यात करके और ज्यादा मुनाफा हासिल कर पाएंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तुअर, उड़द और मसूर उत्पादक किसानों के लिए 100% खरीद का आश्वासन दिया है। साल 2025-26 तक दलहनी फसलों के क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता में सुधार का लक्ष्य रखा है और साल 2027-28 तक आत्मनिर्भरता का लक्ष्य तय किया गया है। गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगा था प्रतिबंध
गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात 20 जुलाई, 2023 से प्रतिबंधित था। व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा जारी अधिसूचना में कहा है, “गैर-बासमती सफेद चावल (सेमी-मिल्ड या पूर्ण मिल्ड चावल, चाहे वह पॉलिश किया गया हो या न हो) के निर्यात नीति को प्रतिबंधित से मुक्त में संशोधित किया गया है, जो कि MEP 490 डॉलर प्रति टन के अधीन है। किसानों के हित में केन्द्र सरकार के कुछ हालिया फैसले