डिंडौरी जिले में 4 साल पहले 7 गोशालाओं का निर्माण किया गया था। एक गोशाला की लागत 81 लाख 46 हजार थी। लेकिन इनका ठीक से संचालन न होने से अब गोवंश सड़कों पर घूम रहा है। इससे हादसों के साथ गोवंश की मौत आशंका बनी रहती है। सरकार ने गो शालाएं बनवाई विटनरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एच पी शुक्ला ने बताया कि जिले में सात जनपद पंचायत क्षेत्र में एक-एक गोशाला बनवाई गई है। डिंडोरी जनपद में रुसा घानामार, बजाग में कारोपाणी, शहपुरा जनपद क्षेत्र में केहेंजरा, करंजिया में मोहतरा, अमरपुर में किसलपुरी, मेहदवानी में बालपुर, समनापुर में मानपुर में साल 2019 में गोशाला बनवाई गई थी। इनमें सौ-सौ गोवंश रखने की व्यवस्था है। सभी गोशालाओ की जनपद मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी है। गो शाला के संचालन के लिए गांव की महिला स्व सहायता समूह से ग्राम पंचायत ने अनुबंध भी किया है। गो शाला के संचालन के लिए स्व सहायता समूह को 100 गोवंश होने पर ही अनुदान मिलना है। अगर उससे कम है, तो समूह को व्यवस्था करनी पड़ेगी। शासन के निर्देश है कि आवारा घूम रहे गोवंश को गो शाला में रखना है। जब गोवंश पालक इन्हें छुड़ाने आए तो उनसे एक हजार रुपए लेना है। दूसरी बार में 2 हजार का जुर्माना करना है। एक महीने पहले ही कलेक्टर ने की टीम गठित डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि एक महीने पहले तत्कालीन कलेक्टर विकास मिश्रा ने बैठक लेकर आवारा घूम रहे गो वंश को गोशाला तक पहुंचाने के लिए टीम गठित की थी। टीम में नगरीय क्षेत्र में सी एम ओ और जनपद क्षेत्रों में सीईओ को नोडल अधिकारी बनाया गया है। गोवंश को गोशाला तक पहुंचाने के लिए दल में पटवारी, ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सहायक और विटनरी विभाग से सहायक नोडल अधिकारी की ड्यूटी लगाई गई है। जब दैनिक भास्कर की टीम पहुंची गोशाला तो कैद दिखे गोवंश दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने रविवार को डिंडौरी जनपद के रुसा ग्राम पंचायत के घाना मार गांव में संचालित गो शाला में पहुंचे, तो वहां कोई कर्मचारी या समूह का सदस्य नहीं मिला है। 15 से 20 गोवंश ताले में कैद दिखे। जब इस मामले की पड़ताल करने गांव में आजीविका ग्राम संगठन स्व सहायता समूह की सचिव हुलसी बाई के पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में ग्राम पंचायत ने समूह से गो शाला संचालन के लिए अनुबंध किया था। शुरू में तो लगभग 100 गोवंश वहा था। लेकिन कभी कोई राशि उपलब्ध नहीं कराई गई। हम लोगों ने सात महीने तक संचालन किया। लेकिन बिना पैसे के कब तक चलाते, कुछ गो वंश कोई ले गया और कुछ तो मर गए। हम तो अब गोशाला जाते ही नहीं है। ग्राम पंचायत ही उसका संचालन करती है। सरपंच बोलीं- बिना पैसे के कैसे करे व्यवस्था, अधिकारियों को है जानकारी जब गौ शाला में कैद गोवंश के बारे में सरपंच मनीषा कुशराम से फोन में बात की गई तो उनका कहना है कि गौ शाला में कुछ गोवंश है समूह के लोग देख नही रहे ,इसलिए कभी ग्राम पंचायत का मेट या फिर रोजगार सहायक उन्हें बाहर निकालकर पानी पिला देता है। चारा,भूषा की व्यवस्था तो है नही।बिना पैसे के कौन काम करेगा।कुछ दिन पहले नगर परिषद से गौ वंश लेकर आए तो हमने वापस करवा दिया इसकी जानकारी कलेक्टर साहब को भी दी गई है। सड़क में कभी भी हो सकती है दुर्घटना स्थानीय असगर सिद्दीकी ने बताया कि नगरीय क्षेत्र की सड़क में भी आवारा घूम रहे गौ वंश से दुर्घटना हो सकती है या फिर गौ वंश में घायल हो सकता है।इसकी व्यवस्था अधिकारियों को करनी चाहिए।इससे पहले भी कई लोग आवारा घूम रहे गौ वंश के चक्कर में घायल हो चुके है। जनपद सी ई ओ बोले- मैं मामले की जानकारी लेता हूं रुसा घानामार की गो शाला में कैद गोवंश के मामले में जनपद सीईओ निखिलेश कटारे का कहना है कि मैं अभी इस मामले की जानकारी लेकर व्यवस्था करवा रहा हूं।